5 लड़कों ने 1 लड़की को अपनी कार से 13 किलोमीटर तक घसीटा, सभी आरोपियों को गिरफ्तार करके पुलिस ने गाड़ी किया बरामद
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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में नए साल के जश्न पर दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. कार सवार 5 लड़कों ने एक लड़की को अपनी कार से 13 किलोमीटर तक घसीटा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. पुलिस को लड़की का शव निर्वस्त्र हालात में मिला है. घटना शनिवार रात 3 बजे की है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 5 लड़कों को हिरासत में ले लिया है और कार बरामद कर ली है.
पुलिस का कहना है, आरोपी लड़के नशे में थे और मुरथल सोनीपत सोनीपत से वापस घर मंगोलपुरी लौट रहे थे. उसी दौरान स्कूटी से घर लौट रही लड़की का एक्सीडेंट हुआ. लड़की कार के नीचे फंस कई और आरोपियों ने उसे 13 किलोमीटर तक घसीटा.
ऐसे मामलों में आरोपी पर क्या कार्रवाई होगी, क्या ड्रंक एंड ड्राइव के कारण आरोपी बच जाएंगे, क्या गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज होगा? सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सत्येंद्र कुमार और विशाल कुमार से जानिए इन सवालों के जवाब…
सवाल-1: क्या ड्रंक एंड ड्राइव केस के चलते पांचों आरोपी बच जाएंगे?
जवाब: इस मामले में आईपीसी की धारा 299 और 304ए लागू होती है. धारा 304ए में लापरवाही से मौत की सजा का मामला बनता है. यह धारा सीधे हिट एंड रन मामलों पर लागू होती है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित की मौत हो जाती है. आईपीसी की धारा 304ए के तहत 2 साल तक की सजा का प्रावधान है जबकि, धारा – 304 में गैर इरादतन हत्या के लिए सजा सुनाई जाती है.सजा या तो आजीवन कारावास है, या किसी एक तय अवधि के लिए कारावास है, जिसे बढ़ाकर 10 साल भी किया जा सकता है. इसके अलावा जुर्माना भी लगेगा.
अगर यह मामला महज एक हादसा साबित होता है तो इसमें लापरवाह ड्राइवर की गलती है न कि गाड़ी में सफर कर रहे अन्य लड़कों की. जबकि, इस मामले में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार चालक ने न तो कार रोकी और न ही पुलिस को दुर्घटना के बारे में सूचित किया और न ही वह पीड़ित को इलाज के लिए अस्पताल ले गया. इस अधिनियम में धारा 134 (ए) के तहत चालक को घायल का इलाज कराना चाहिए था. वहीं अधिनियम की धारा 134(बी) के तहत जितनी जल्दी हो सके एक पुलिस अधिकारी को इसके बारे में और जानकारी देनी चाहिए थी.
दिल्ली में जो घटना हुई है उसके सभी आरोपी कार में बैठे थे. कार में बैठे सभी 5 आरोपी के इरादे बताते हैं कि किसी ने भी पीड़ित की जान बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, भले ही दुर्घटना हुई हो, लेकिन उन्होंने भागने का फैसला किया. पीड़िता की परवाह नहीं की. यह स्पष्टतौर पर उनके इरादे को बताता है और जिसके लिए आईपीसी की धारा – 34 स्पष्ट रूप से कहती है कि जब आरोपी के इरादे अपराध को बढ़ाने के होते हैं तो हर आरोपी उसके लिए जिम्मेदार माना जाता है.इसलिए, इस मामले में सभी 5 आरोपी उत्तरदायी होंगे.
सवाल-2: कम से कम कितने दिनों तक आरोपियों को जमानत नहीं मिलेगी?
जवाब: अगर आरोपियों पर केवल आईपीसी की धारा 304ए के तहत मुकदमा चलाया जाता है तो उन सभी को आसानी से जमानत मिल जाएगी क्योंकि यह एक जमानती अपराध है. हालांकि, अगर उन पर धारा 304 के तहत भी मुकदमा चलाया जाता है, जो गैर-इरादतन हत्या से जुड़ा है तो जमानत आसान नहीं होगी क्योंकि उन्हें न्यायाधीश के सामने यह साबित करना होगा कि जमानत पाने के लिए उन्होंने कोई झूठ नहीं बोला यानी कोई गलती नहीं की है.
सवाल-3: क्या गैर-इरादतन हत्या के मामले के चलते जल्दी छूट जाएंगे आरोपी?
जवाब: यह ऐसा मामला नहीं है जहां आरोपी इच्छा के विरुद्ध नशे में थे और वो जो कर रहे थे वो उसे समझ नहीं पा रहे थे. पीड़िता की मौत के समय यह मान लेने पर भी कि सभी ने स्वेच्छा से शराब पी और अपना नियंत्रण खो दिया, आरोपी को अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता. अगर पुलिस व अभियोजन पक्ष मामले को प्रभावी ढंग से उठाते हैं और आरोपी पर धारा-299 व 304 ए के तहत गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चला तो यह आसान नहीं होगा क्योंकि ये लोग अपनी मर्जी से पीड़िता के शव को घसीट कर कई किलोमीटर तक ले गए थे. पुलिस को सूचित करने और उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के बजाय पीड़िता को कई किलोमीटर खींचना उनके आपराधिक इरादे को बयां करता है.
सवाल-4: एक्सीडेंट करने पर क्या है सजा का प्रावधान ?
जवाब: दुर्घटना की सजा आईपीसी की धारा 304ए के तहत दी जाती है जिसमें 2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों है.
सवाल-5: अगर युवक शराब नहीं पिए होते तो दोष साबित होने पर ज्यादा सजा मिलती?
जवाब: अगर आरोपी नशे में नहीं होते, तो अभियोजन पक्ष के लिए यह साबित करना और आसान हो जाएगा कि वे पीड़िता को इलाज दिलाने की जगह जानबूझकर शरीर को घसीटते रहे और जिससे उन्हें गैर-इरादतन हत्या के लिए आसानी से दंडित किया जा सकता है.