भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3.37 लाख केस दर्ज, मामूली राहत

Update: 2022-01-22 03:35 GMT

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के पिछले 24 घंटे में 3.37 लाख केस सामने आए हैं. लगातार ये तीसरा दिन है, जब कोरोना के देश में तीन लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं. देश में एक्टिव मामले बढ़कर 21 लाख हो गए हैं.

पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना से 488 लोगों ने कोरोना से जान गंवाई. अब तक देश में कोरोना से 4,88,884 लोगों की मौत हो गई.
देश में 5 सबसे संक्रमित राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र टॉप पर है. महाराष्ट्र में कोरोना के 48,270 केस सामने आए हैं. इसके बाद कर्नाटक में (48,049 केस), केरल में (41,668 केस), तमिलनाडु में 29,870 केस, गुजरात में 21,225 केस सामने आए हैं.
केंद्र सरकार ने वैक्सीन के लिए जारी की नई गाइडलाइंस
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि संक्रमित पाए गए व्यक्तियों के टीकाकरण में तीन महीने की देरी होगी. इसमें 'एहतियाती' खुराक भी शामिल है. सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को भेजे गए पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विकास शील ने कहा, ''कृपया ध्यान दें- जिन व्यक्तियों की जांच में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है अब उन्हें ठीक होने के तीन महीने बाद खुराक दी जाएगी. इसमें 'एहतियाती' खुराक भी शामिल है.''शील ने कहा, ''मैं अनुरोध करता हूं कि संबंधित अधिकारी इसका संज्ञान लें.''
दरअसल कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के आने के बाद एक बार फिर देश में वैक्सीनेशन तेज कर दी गई है. वायरस (Virus) से बचाव के लिए सरकार की ओर से कई माध्यमों के जरिए जागरूकता फैलाई जा रही है. ऐसे में लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वैक्सीन (Vaccine) लगवाने या कोरोना संक्रमण (Corona Virus ) से ठीक होने के बाद कितने महीने तक इम्यूनिटी (Immunity) यानि एंटी बॉडी शरीर में बरकरार रहती है. लोगों के मन में उठ रहे सवाल को लेकर आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव (Balram Bhargava) ने जानकारी दी है.
9 महीने तक एंटी बॉडी मौजूद रहती है
बलराम भार्गव के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होने या वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद करीब 9 महीने तक एंटी बॉडी मौजूद रहती है. आईसीएमआर के डीजी के मुताबिक वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी को लेकर भारत में भी स्टडी हुआ और ग्लोबल स्तर पर भी रिसर्च किया गया. इन स्टडी से साफ हो गया है कि एंटी बॉडी करीब 9 माह तक शरीर में जीवित रहती है.
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