26/11 आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को जल्द लाया जाएगा भारत, लाने की कोशिशें तेज

अमेरिकी अदालत में भारत की बड़ी जीत.

Update: 2025-01-01 09:11 GMT
नई दिल्ली: भारत को अमेरिका में बड़ी सफलता मिली है. 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है. राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है.
अमेरिकी कोर्ट ने अगस्त 2024 में फैसला सुनाते हुए भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने को मंजूरी दी थी. अब भारत उसे जल्द लाने की प्रक्रिया तेज कर रहा है. राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी. हेडली ने मुंबई में ठिकानों की रेकी की थी.
इससे पहले भारत ने अमेरिकी कोर्ट के समक्ष मजबूत सबूत पेश किए थे, जिनमें राणा की संलिप्तता साफ देखी गई थी. कोर्ट ने साफ किया कि राणा के खिलाफ भारत में लगे आरोप अमेरिकी अदालतों के मामलों से अलग हैं. दोनों देशों के बीच जो समझौता है, उसके तहत उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
बता दें कि एफबीआई ने राणा को 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया था. वह पाकिस्तान की ISI और लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेटिव बताया गया है. अब उसे भारत लाने की तैयारी जोरों पर है.
कोर्ट ने राणा को आतंकवादी संगठन को मदद करने और डेनमार्क में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की नाकाम साजिश रचने के लिए दोषी करार दिया था. हालांकि, कोर्ट ने भारत में किए गए हमलों के आरोपों को खारिज कर दिया लेकिन माना कि वह मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल रहा था, और उसे भारत प्रत्यर्पण किया जाना चाहिए.
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. उसने आर्मी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की और पाकिस्तान आर्मी में 10 साल तक बतौर डॉक्टर काम काम किया. लेकिन तहव्वुर राणा को अपना काम पसंद नहीं आया और उसने ये नौकरी छोड़ दी. भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वाला तहव्वुर राणा अभी कनाड़ा का नागरिक है. लेकिन हाल में वह शिकागो का निवासी था, जहां उसका बिजनेस है.
अदालत के दस्तावेजों के मुताबिक उसने कनाड़ा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड की यात्राएं की है और वहां रहा है, वह लगभग 7 भाषाएं बोल सकता है. अदालत के दस्तावेज बताते हैं कि 2006 से लेकर नवंबर 2008 तक तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में डेविड हेडली और दूसरे लोगों के साथ मिलकर साजिश रची. इस दौरान तहव्वुर राणा ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत उल जिहाद ए इस्लामी की मदद की और मुंबई आतंकी हमले की प्लानिंग की और इसे अमली जामा पहनाने में मदद की. आतंकी हेडली इस मामले में सरकारी गवाह बन गया है.
26 नवंबर 2008 को क्या हुआ था?
26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आतंकियों के इस हमले को नाकाम करने के लिए 200 एनएसजी कमांडो और सेना के पचास कमांडो को मुंबई भेजा गया था. इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियों को भी वहां तैनात किया गया था. हमले के दौरान नौसेना को भी अलर्ट पर रखा गया था.
मुंबई के आतंकी हमले को नाकाम करने के अभियान में मुंबई पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे. इनमें एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एसीपी सदानंद दाते, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर, इंसपेक्टर सुशांत शिंदे, एसआई प्रकाश मोरे, एसआई दुदगुड़े, एएसआई नानासाहब भोंसले, एएसआई तुकाराम ओंबले, कांस्टेबल विजय खांडेकर, जयवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादोस पवार और एम.सी. चौधरी शामिल थे.
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