2 साल की बच्ची का वजन 45 किलो पड़ा भारी, ओवर वेट बढ़ने से डॉक्टरों ने की सर्जरी, ऐसे बचाई जान
Delhi में बच्चों की सर्जरी से जुड़ा एक दुर्लभ मामला सामने आया है. यहां एक बच्ची जिसका मात्र दो साल की उम्र में वजन 45 किलो तक बढ़ गया (2 Years child weight 45 Kg). उम्र के हिसाब से इतना वजन होने के चलते बच्ची की जान पर भी खतरा बढ़ गया था. जिसके बाद मैक्स हॉस्पिटल में उसकी बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery ) करनी पड़ी. ये सर्जरी आम तौर पर बच्चों की नहीं की जाती. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि सर्जरी काफी रिस्की थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- राजधानी दिल्ली (Delhi) में बच्चों की सर्जरी से जुड़ा एक दुर्लभ मामला सामने आया है. यहां एक बच्ची जिसका मात्र दो साल की उम्र में वजन 45 किलो तक बढ़ गया (2 Years child weight 45 Kg). उम्र के हिसाब से इतना वजन होने के चलते बच्ची की जान पर भी खतरा बढ़ गया था. जिसके बाद मैक्स हॉस्पिटल में उसकी बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery ) करनी पड़ी. ये सर्जरी आम तौर पर बच्चों की नहीं की जाती. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि सर्जरी काफी रिस्की थी.
दरअसल दिल्ली की ही रहने वाली दो साल की बच्ची ख्याति वार्ष्णेय का वजन 45 किलोग्राम था. जिसके बाद मैक्स हॉस्पिटल में सर्जरी के जरिये बच्ची का वजन कम किया गया. डॉक्टरों का कहना है कि पहले ऑपरेशन के जरिये वजन 40 किलोग्राम किया गया है, उसके बाद धीरे-धीरे वजन और कम हो रहा है. बेरिएट्रिक सर्जरी करने वाले डॉक्टर विवेक बिंदल का कहना है कि इससे पहले देश में एक मामला और सामने आया था, जिसमें 11 महीने की बच्ची का वजन बहुत ज्यादा था, उसे भी बेरिएट्रिक सर्जरी के जरिये ठीक किया गया था.
वजन बढ़ने की वजह से अचानक रुक जाती है सांस
बच्ची ख्याति वार्ष्णेय के पिता ने बताया कि है कि ख्याति की मां 50 किलोग्राम की हैं और ख्याति खुद दो साल की उम्र में 40 किलोग्राम की हो गई थी. जब वो 6 महीने की थी, तब से उसका वजन बढ़ने लगा. 6 महीने की होने पर ही उसका वजन 20 किलोग्राम हो गया था. डॉक्टरों ने बताया कि ऐसे केस में कई बार यह होता है कि धीरे-धीरे बच्चे का वजन बढ़ता जाता है और सांस लेने में समस्या भी बढ़ जाती है. फिर एक दिन सोते-सोते ही उसकी सांस रुक जाती है.
कोई भी फैसला लेने से पहले होती थी मीटिंग
वहीं मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. राजीव गुप्ता और डॉ. अरुण पूरी ने बताया कि यह बहुत मुश्किल ऑपरेशन था. डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि इसमें हमें यह बहुत समस्या हुई कि बच्ची को दवा कितनी दी जाए. उसके वजन के हिसाब से या उम्र के हिसाब से. दूसरा ये कि सर्जरी के दौरान यह बहुत जरूरी था कि उसकी सांस लेने की क्षमता (ब्रीदिंग) ठीक रहे. वहीं डॉ. अरुण पुरी ने बताया कि इस केस में हम कोई भी फैसला लेने से पहले बाकायदा मीटिंग करते थे. सबने मिलकर काम किया और हम सफल रहे.