13 कर्मचारियों को गिरफ्तारी से मिली राहत, शिक्षक भर्ती घोटाला
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यूपी। फर्जी शिक्षक चयन भर्ती घोटाले में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय में तैनात एक और कर्मचारी को उच्च न्यायालय से उसकी गिरफ्तारी पर स्थगनादेश मिल गया है। अब तक एक अधिकारी, दो कर्मचारियों समेत कुल 13 को गिरफ्तारी में स्थगनादेश मिल चुका है। दाखिल आरोपपत्र में एक रिटायर्ड अधिकारी और एक कर्मचारी का नाम भी शामिल है।
डीआईओएस कार्यालय में 26 अक्तूबर 2023 को एक फर्जी ई मेल शिक्षा विभाग के मिलते जुलते एड्रेस से आई थी। तत्कालीन डीआईओएस ने रमसा कार्यालय में इसकी प्रति एक लिपिक को सौंपी। इसकी रिसीविंग 08 नवंबर और फिर 21 नवंबर 2023 को दिखाई गई। इसमें नौ फर्जी शिक्षकों के नाम थे। तत्कालीन डीआईओएस द्वितीय के नियुक्ति पत्र से आर्य कन्या और मदन मोहन में शिक्षिकाओं की ज्वॉइनिंग हो गई। 16 दिसंबर को तत्कालीन डीआईओएस का स्थानांतरण हो गया। बाद में शेष के नियुक्ति पत्र तैयार हुए लेकिन उन तक पहुंचे नहीं। पोल खुलने पर डीआईओएस ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
कर्मचारी को अब मिला गिरफ्तारी पर स्टे डीआईओएस कार्यालय में तैनात सुनील कुमार को हाईकोर्ट से सात नवंबर को स्टे मिल गया। पूर्व में इसी कार्यालय के एक अन्य कर्मचारी और एक पूर्व अधिकारी को स्टे मिल चुका है। फर्जी नियुक्ति कांड से सम्बंधित सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें एक पिता-पुत्र भी शामिल हैं। इस गैंग में शामिल जैतपुरा वाराणसी निवासी 63 वर्षीय हरेंद्र पांडेय प्राइवेट विद्यालय में शिक्षक रहा है लेकिन निदेशालय व चयन बोर्ड से पिछले दो दशकों से जुड़ा रहा है। इसका पुत्र 38 वर्षीय वाराणसी निवासी प्रकाश पांडेय महाराजगंज के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज में शिक्षक है। इनकी गिरफ्तारी धारा 120बी, 420, 467, 468 और 471 के तहत कार्रवाई की गई थी। डीआईओएस अरुण कुमार ने बताया कि अभी तक किसी का निलंबन बहाल नहीं हुआ है। पुलिस के स्तर से कार्रवाई की जा रही थी। अब प्रकरण अदालती प्रक्रिया में है। कार्यालय के एक पूर्व अधिकारी और एक कर्मचारी का नाम आरोप पत्र में है।