नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का कहना है कि वर्ष 2021 में देश में 126 बाघों की मौत दर्ज की गई.
टाइगर अभी खतरे में है
महाराष्ट्र में छह महीने के दौरान 23 बाघों के मौत का मामला सामने आया है. जनवरी 2021 से लेकर जुलाई 2021 के दौरान राज्य में 23 बाघों की मौत हुई है. 23 बाघों में से प्राकृतिक कारणों से 15, रेलवे अपघात से 1, जहर के उपयोग से 4, करंट लगने से 1, शिकार करने से 2 बाघों की मौत हुई है. इन 23 बाघों में 15 वयस्क बाघ थे जबकि आठ उनके शावक थे. वहीं, जनवरी से सितंबर तक बाघों ने 39 लोगों की जान ली.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह लिखित जवाब बाघों के इंसानों के मौत के सवाल पर दिया है. एक जनवरी से 30 सितंबर के बीच मानव और जानवरों के बीच हुए संघर्ष में राज्य में 65 इंसानों की मौत हुई है. इन 65 मौत में से 39 मौत सिर्फ बाघों के हमले में हुई है. वहीं, पिछले साल 1 जनवरी 2020 से 30 सितंबर 2020 के बीच 61 लोगों की मौत हुई थी जिसमें बाघों से 31 लोगों की मौत हुई थी.
सरकार ने लिखित जवाब में बताया कि, जंगली जानवरों के हमले में मारे गए पीड़ितों के परिजनों को 15 लाख की मदद दी जाती है.
बाघ भारत के राष्ट्रीय पशु है जिसके बावजूद भारत में साल 2010 में बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे. भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व नागार्जुन सागर श्रीशैलम है जबकि देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र के पेंच में है. 29 जुलाई को पूरी दुनिया 'इंटरनेशनल टाइगर डे' मनाती है.