नवरात्रि के नौवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा... जाने मंत्र और आरती

चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

Update: 2021-04-21 01:17 GMT

चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां ने पृथ्वी को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए अवतार लिया था। कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शंकर का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसके चलते इन्हें अर्द्धनारीश्वर भी कहा जाता है। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि:

आज नवरात्रि की नवमी तिथि है और आज के दिन मां को विदा किया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे उठ जाना चाहिए। फिर स्नान करने के बाद चौकी लगानी चाहिए। इस पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद मां को पुष्प अर्पित करें। मां को अनार का फल चढ़ाएं। फिर नैवेध अर्पित करें। मां को मिष्ठान, पंचामृत और घर में बनने वाले पकवान का भओग लगाया जाता है। इस दिन हवन भी किया जाता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है

मां सिद्धिदात्री की कथा:

मां सिद्धिदात्री को अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्‌सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि नाम से पुकारा जाता है। मां कमल पुष्प पर आसीन हैं। इनका वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां की आराधना करने से व्यक्ति की लौकिक, पारलौकिक हर तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। इसके अलावा व्यक्ति मां की सच्चे मन से अराधना करने पर अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है।


मां सिद्धिदात्री के मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.

मां सिद्धिदात्री की आरती:

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता .

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ..

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि .

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ..

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम .


जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ..

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है .

तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ..

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो .

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ..

तू सब काज उसके करती है पूरे .

कभी काम उसके रहे ना अधूरे ..

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया .

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ..

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली .


जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ..

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा .

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ..

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता .

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता.



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