पच्छिम बंगाल : अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर भूतपूर्व सैन्य कर्मियों ने कही ये बात...
सशस्त्र बलों के लिए हाल ही में शुरू की गई 'अग्निपथ' भर्ती योजना के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में जारी विरोध प्रदर्शनों पर भूतपूर्व जनरल और वायु कमांडर की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। कुछ का मानना है कि यह युवाओं की उनके भविष्य को लेकर आशंका की अभिव्यक्ति है, जबकि अन्य का कहना है कि यह सुनियोजित हो सकता है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नयी 'अग्निपथ योजना' का ऐलान किया। इसके तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें 'अग्निवीर'कहा जाएगा। हालांकि, बलों में भर्ती के आकांक्षी युवा कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे हैं, रेल पटरियों और राजमार्गों पर नाकेबंदी कर रहे हैं। सेना के भूतपूर्व कर्मी, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जे आर मुखर्जी ने कहा कि युवा अपने भविष्य के बारे में आशंका से विरोध कर रहे होंगे कि चार साल बाद जब वे सेना से बाहर आएंगे तो क्या होगा।
अग्निपथ योजना के अनुसार, हर साल 25 प्रतिशत रंगरूटों को बलों में बरकरार रखा जाएगा, जबकि बाकी 75 प्रतिशत चार साल के संविदा अवधि पूरी होने के बाद नागरिक जीवन में वापस आ जाएंगे। मुखर्जी ने पीटीआई से फोन पर बात करते हुए कहा कि वह ''इसके बारे में अच्छा नहीं सोचते''और अग्निपथ योजना लाने को एक खराब निर्णय करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि उन्हें एक छोटी अवधि में प्रशिक्षित कैसे किया जा सकता है जब उनकी सेवा अवधि केवल चार वर्ष की होगी। उन्होंने कहा, ''आप भारतीय युवकों को तोप के चारे में बदल रहे हैं।''हालांकि, एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरूप राहा ने कहा कि साढ़े 17 साल से शुरू होने वाली भर्ती प्रक्रिया से सशस्त्र बलों की आयु में चार से पांच साल की कमी आएगी और यह सेना के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा