पश्चिम बंगाल चुनाव : डेढ़ लाख जवानों के हवाले था सुरक्षा का जिम्मा, फिर भी हिंसा
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव को लेकर राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने ‘हिंसा’ का अलर्ट जारी किया था। चुनाव के दौरान हर पोलिंग बूथ पर केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती हो, इसके लिए राज्य के भाजपा नेता कोलकाता हाई कोर्ट में चले गए थे। हाई कोर्ट ने शांतिपूर्ण मतदान के लिए ‘हर बूथ पर सीएपीएफ जवान’ होने की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती का तरीका क्या होगा, यह जिम्मेदारी विशेषज्ञों और फोर्स कॉ-आर्डिनेटर पर छोड़ते हैं। चुनाव आयोग ने वह चार्ट भी जारी किया, जिसके अंतर्गत विभिन्न बूथ परिसरों पर सीएपीएफ जवानों की तैनाती की जानी थी। पहले कहा गया कि पंचायत चुनाव में सीएपीएफ की 822 कंपनी लगाई जाएंगी। इसके बाद 485 अतिरिक्त कंपनियां भेजी गईं। कुल मिलाकर 1307 कंपनियां हो गई। यानी 80 से 85 हजार जवानों को तैनात किया गया। स्टेट पुलिस के भी करीब 70 हजार जवान तैनात हैं। सुरक्षा बलों की रिकॉर्ड तैनाती के बावजूद हिंसा हुई। करीब दर्जनभर लोग मारे गए। कहीं पर मतपेटी जलाई गई, तो कहीं उस पर पानी डाल दिया गया। जानकारों के मुताबिक, पंचायत चुनाव में जितनी संख्या में केंद्रीय बल थे, लगभग उतने ही राज्य पुलिस के जवान भी थे।
करीब डेढ़ लाख जवानों की तैनाती के बाद भी हिंसा और मतपत्र पेटियों को छीनने या नष्ट करने का प्रयास हुआ। भाजपा, इसलिए हाई कोर्ट में गई ताकि पर्याप्त संख्या में केंद्रीय बल मिल जाएं। उसे राज्य की मशीनरी पर भरोसा नहीं था। केंद्रीय बलों को लोकल मशीनरी का साथ नहीं मिला। इसी वजह से प्रदेश के कई भागों में हिंसा और आगजनी हुई। कूच बिहार स्थित दिनहाटा में इंद्रेश्वर प्राइमरी स्कूल के बूथ पर बैलेट बॉक्स में उपद्रवियों ने पानी फेंक दिया। दिनहाटा के बारानाचिना में फर्जी मतदान से नाराज लोगों ने बैलेट बॉक्स को ही आग के हवाले कर दिया। भांगर, कूचबिहार, बसंती, मुर्शिदाबाद, बीरभूम और नंदीग्राम में जमकर हिंसा हुई। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, पश्चिम बंगाल में पूरी व्यवस्था असंवैधानिक कामों में लग चुकी है। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, राज्य में गुंडों और पुलिस की मिलीभगत है, इसलिए इतनी हत्याएं हो रही हैं। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के राज्य प्रभारी मंगल पांडे के साथ फोन पर चुनावी हिंसा को लेकर बातचीत की।
भाजपा की मांग, राष्ट्रपति शासन लगाएं
पश्चिम बंगाल के सभी दलों ने विभिन्न जिलों में पंचायत चुनाव के बीच 11 लोगों की हत्या की शनिवार को निंदा की, जबकि विपक्षी भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। वहीं, चुनावी हिंसा में अपने छह समर्थकों को खोने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने विपक्ष पर हिंसा भडक़ाने का आरोप लगाया और मतदाताओं की सुरक्षा करने में विफल रहने के लिए केंद्रीय बलों की आलोचना की।
तृणमूल के लोगों को मिल रही खुली छूट
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों को खुली छूट मिल रही है और जनादेश को लूटा गया है। वहीं, माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि केंद्रीय बल को सही तरीके से मॉबिलाइज नहीं किया गया।
ममता जी, आपने बंगाल को कहां पहुंचा दिया
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बंगाल में आज जो पंचायत चुनाव हो रहे हैं, उसमें हिंसा का तांडव हो रहा है। अभी तक एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हैं। ममता जी आपने अपने बंगाल को कहां पहुंचा दिया?
टीएमसी के इशारे पर काम
भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने दावा किया कि राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) तृणमूल कांग्रेस सरकार के निर्देश के अनुसार काम कर रहा है और यह अपने कत्र्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन करने में विफल रहा है। आज जिस तरह से वे मतदान करा रहे हैं, उससे यह स्पष्ट है। कई बूथों पर केंद्रीय बल नहीं हैं, जबकि कुछ में राज्य पुलिस भी नदारद है।
घटनाओं के पीछे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस
माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद केंद्रीय बल को उचित तरीके से नहीं जुटाया गया । वहीं, माकपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि इन सभी घटनाओं के पीछे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का
हाथ है।