पश्चिम बंगाल : आंध्र और बंगाल से राेजाना मंगाई जाती हैं 10 टन मछलियां, धनबाद में मछलियाें के शाैकीनाें की बड़ी संख्या

धनबाद में मछलियाें के शाैकीनाें की बड़ी संख्या है। राेजाना 12-15 टन की खपत जिले में है। इनमें से कम-से-कम 10 टन आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से मंगाई जाती हैं।

Update: 2022-06-07 13:20 GMT

धनबाद में मछलियाें के शाैकीनाें की बड़ी संख्या है। राेजाना 12-15 टन की खपत जिले में है। इनमें से कम-से-कम 10 टन आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से मंगाई जाती हैं। हालांकि पिछले कुछ समय में जिले में मछली पालन का काराेबार तेजी से बढ़ा है। करीब 5 हजार मत्स्यपालक जिले में इस काराेबार से जुड़े हैं। अब यहां से पश्चिम बंगाल में मछलियां सप्लाई की जा रही हैं

हर महीने औसतन 100 टन मछलियां बंगाल भेजी जा रही हैं। निरसा क्षेत्र में मछली पालन से जुड़े हरिपद बताते हैं कि हर तीसरे दिन 1 गाड़ी से वे मछलियां बंगाल भेज रहे हैं। अच्छी कमाई काे देखते हुए ज्यादा बड़े क्षेत्र में मछली पालन की तैयारी कर रहे हैं।
धनबाद में कतला, रेहू और मृगल मछलियाें का पालन अधिक किया जाता है। मैथन व पंचेत डैम, छाेटी-बड़ी नदियाें और तालाबाें में पालन किया जा रहा है। जिला मत्स्य पदाधिकारी एम अंसारी कहते हैं कि इन प्रजाति की मछलियाें के लिए धनबाद का माैसम अनुकूल है। हालांकि, अब मछुआरे दूसरी प्रजाति की मछलियाें में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। देसी मांगूर की अच्छी मांग हाेने की वजह से कई मछुआराें से इनका उत्पादन भी शुरू कर दिया है।
5 तालाबाें से निकला 800 किग्रा प्राेन, इस साल 15 तालाबाें में पालन की तैयारी
धनबाद में जिन मछलियाें की मांग सबसे अधिक हैं, उनमें प्राेन (झींगा) भी शामिल है। पिछले साल से जिले में भी प्राेन का पालन भी शुरू हुआ है। मत्स्य विभाग ने भी प्रयाेग के ताैर पर गाेविंदपुर, बलियापुर और पूर्वी टुंडी के 5 तालाबाें में झींगे का उत्पादन कराया। परिणाम उत्साहजनक रहे। करीब 800 किग्रा झींगा का उत्पादन हुअा। अब मत्स्य विभाग ने इसे बढ़ावा देने की तैयारी की है। इस साल 15 तालाबाें में झींगा पालन शुरू कराने की तैयारी है।
Tags:    

Similar News

-->