West Bengal पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में गंगा नदी में प्रदूषण के विषय पर जिलाधिकारियों और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट पर असंतोष प्रकट करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राज्य सरकार के पर्यावरण सचिव से जवाब-तलब किया है।
अधिकरण ने नदी के प्रदूषण पर रिपोर्ट के कुछ मुद्दों को उठाया, जैसे कि बड़ी संख्या में अप्रयुक्त नाले, जलमल कोलीफॉर्म की अधिक मात्रा के कारण नदी जल की अस्वच्छ स्थिति, अपशिष्ट प्रवाह को रोकने के लिए जिलावार योजना का खुलासा न किया जाना और जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करने की ‘बहुत लंबी’ समयसीमा।
NGT ने उच्चतम न्यायालय के 2017 के निर्देश का हवाला दिया, जिसमें केंद्रीय अपशिष्ट शोधन संयंत्रों (CETP) और एसटीपी के निर्माण के लिए तीन साल की समयसीमा तय की गई थी और कहा गया था कि किसी भी चूक के लिए राज्य के पर्यावरण सचिव जिम्मेदार होंगे।
अधिकरण ने कहा, ‘‘यह फैसला 22 फरवरी, 2017 को दिया गया था और तीन साल की समयसीमा 21 फरवरी, 2020 को समाप्त हो गई, फिर भी गंगा नदी से सटे विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में एसटीपी का निर्माण नहीं किया गया है और इन यूएलबी से अशोधित जलमल नदी में बह रहा है।’’इसने कहा कि राज्य के पर्यावरण सचिव को जवाब देने की जरूरत है। एनजीटी पश्चिम बंगाल में गंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उसके बढ़ने संबंधी मामले की सुनवाई कर रहा है।