आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को नहीं मिली राहत, 20 मई को ईडी की विशेष अदालत के सामने किया गया था पेश
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को राहत मिलती नहीं दिख रही है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को राहत मिलती नहीं दिख रही है। इस मामले में रिमांड अवधि खत्म होने के बाद उन्हें बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय की विशेष अदालत में पेश किया गया। इस मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने पूजा सिंघल को आठ जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
20 मई को ईडी की विशेष अदालत के सामने किया गया था पेश
इससे पहले कोर्ट ने 16 मई को निलंबित आईएएस अधिकारी और उनके सीए को ईडी कस्टडी में भेजा था। 20 मई को उन्हें विशेष कोर्ट के समक्ष पेश किया था। तब ईडी ने दलील दी थी कि निलंबित अधिकारी पूजा सिंघल हर दिन बेचैनी की शिकायत करती हैं, जिसके कारण उनके लिए चिकित्सीय व्यवस्था करनी पड़ती है। इतना ही नहीं उनसे पूछताछ और जांच भी प्रभावित होती है। इन सब दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने रिमांड की अवधि पांच दिन के लिए बढ़ा दी थी।
क्या है मामला?
सिंघल एवं अन्य के खिलाफ यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जिसमें झारखंड सरकार के पूर्व जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा को ईडी ने 17 जून 2020 को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था। उससे पहले उसके खिलाफ राज्य सतर्कता ब्यूरो की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद 2012 में एजेंसी द्वारा पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया गया था। सिन्हा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की आपराधिक धाराओं के तहत धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर एक अप्रैल 2008 से 21 मार्च 2011 तक जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करते हुए कथित तौर पर जनता के पैसे की धोखाधड़ी करके उसे अपने नाम के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश करने का आरोप है।
एजेंसी ने पहले कहा था कि उक्त धन को खूंटी जिले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत सरकारी परियोजनाओं के निष्पादन के लिए रखा गया था। सिन्हा ने ईडी को बताया कि उसने जिला प्रशासन को पांच प्रतिशत कमीशन (धोखाधड़ी में से) का भुगतान किया है।