मनमाने तरीके से कीमतें नहीं बढ़ा पाएंगे विक्रेता, पहली बार कमेटी बनाने की कवायद
प्रदेश में दवाईयों की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण और निगरानी रखने के लिए पहली बार औषधि मूल्य निगरानी कमेटी बनाई जाएगी। इसके लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। इस कमेटी के बनने से प्रदेश में फार्मा कंपनी और दवा विक्रेता मनमाने तरीके से कीमतें नहीं बढ़ा पाएंगे।
दवाइयोें की कीमतों में फार्मा कंपनियों और विक्रेताओं की मनमानी रोकने के लिए सरकार औषधि मूल्य निगरानी कमेटी बनाने जा रही है। कमेटी में राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के निदेशक, प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव, औषधि नियंत्रक, फार्मास्युटिकल एसोसिएशन अध्यक्ष शामिल होंगे। कमेटी सोसायटी के रूप में काम करेगी। इसके लिए कमेटी को सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
बता दें कि जीवन रक्षक दवाईयों की कीमत केंद्र सरकार तय करती है, लेकिन फार्मा कंपनी और दवा विक्रेता मरीजों से दवाइयों और अन्य चिकित्सा उपकरणों के मनमाने दाम वसूलते हैं। कमेटी का काम दवाइयों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निगरानी करना है। उत्तराखंड फार्मा उद्योग का बड़ा हब है। वर्तमान में 285 फार्मा और 14 चिकित्सा उपकरण बनाने वाले उद्योग राज्य में स्थापित हैं। प्रदेश से दवाईयों व चिकित्सा उपकरणों का निर्यात किया जाता है।
प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। दवाईयों की कीमतों पर मनमानी रोकने के लिए औषधि मूल्य निगरानी कमेटी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। -डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री