उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ का दावा, हार्ट-बीपी सहित इन जीवनरक्षक दवाओं का मेडिकल स्टोरों पर संकट
उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ
उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ ने दावा किया है कि उत्तराखंड के मेडिकल स्टोरों में नारकोटिक, सायकोट्रोपिक, हार्ट-बीपी और मनोरोग की दवाओं की किल्लत हो गई है। इससे मरीजों के सामने दिक्कत खड़ी हो चुकी है। इसके लिए उन्होंने ड्रग कंट्रोलर के आदेश को जिम्मेदार ठहराया।
अध्यक्ष बीएस मनकोटी और महामंत्री अमित गर्ग के अनुसार, ड्रग कंट्रोलर के आदेश के तहत रिटेल केमिस्ट और होल सेलर दोनों के लिए 15 अहम दवाओं को बेहद कम मात्रा में रखने का नियम तय किया गया है। इन दवाओं का इस्तेमाल मनोचिकित्सक के अलावा फिजिशियन और सर्जन ब्लड प्रेशर, पेट और दूसरी बीमारियों के लिए करते हैं।
ताजा आदेश से रिटेल और होल सेल दोनों स्तर पर दवाओं की कमी हो गई है, क्योंकि इन दवाओं को रखने की प्रस्तावित मात्रा सभी कॉम्बिनेशन को मिलाकर बेहद कम है। असर मरीजों पर पड़ रहा है। खासतौर पर पहाड़ से दून, हल्द्वानी आने वाले मरीजों को पर्याप्त मात्रा में दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
ऐसे मरीज एक बार में दो से तीन महीने की दवाएं एक साथ ले जाते हैं। रिटेल के लिए एक दवा के सिर्फ 20 पत्ते और होल सेलर के लिए 500 पत्तों का नियम बनाया गया है। हर महीने भेजना पड़ रहा है ब्योरा:उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ का कहना है कि इन 15 दवाओं को न्यूनतम मात्रा में रखने के साथ ही ब्योरा रखने की भी अनिवार्यता की गई है।
साथ ही, हर महीने की पांच तारी तक इसका ब्योरा ड्रग कंट्रोलर को भेजना भी अनिवार्य है। जीएसटी के बाद राज्यभर में बड़ी दवा कंपनियों के सीएंडएफ भी खत्म हो गए हैं। ऐसे में दवाओं का ऑर्डर करने के बाद आपूर्ति में तीन से चार दिन का समय लग रहा है।