उत्तराखंड न्यूज: अफसरों से मिलना मुश्किल, मंत्रियों से मुलाकात आसान, जानें कैसे
उत्तराखंड न्यूज
देहरादून। उत्तराखंड छोटा सा राज्य, महज 13 जिलों का। अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की संख्या भी अन्य राज्यों की अपेक्षा सीमित है। इसके बावजूद स्थिति यह कि मंत्रियों से मुलाकात, बात करना आसान, मगर अधिकांश नौकरशाह ऐसे कि उनके कार्यालय जाओ या फोन करो, संपर्क हो जाए, मुश्किल है।
सरकार भले ही तमाम आदेश करे, लेकिन क्या मजाल कि कानों पर जूं रेंग जाए। सचिवालय के कुछ अफसर इस मामले में काफी ख्यातिलब्ध हैं। आमजन तो छोड़िए, मंत्री-विधायकों तक को गच्चा देने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।
इसीलिए अकसर मंत्री सार्वजनिक मंचों पर अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं और यह सिलसिला पिछली चार सरकारों के समय से यूं ही चल रहा है। यद्यपि शासन ने इसके लिए जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद में शिष्टाचार को लेकर बाकायदा सर्कुलर जारी किया है। फिर भी इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति से साफ है कि कार्यशैली जल्द नहीं सुधरने वाली।
कांग्रेस नेताओं का दिल्ली कूच, प्रदेश में सन्नाटा
अपने राज्य में पिछले एक हफ्ते विपक्ष कहीं दिखा नहीं। विपक्ष, मतलब कांग्रेस, क्योंकि बसपा के तो केवल दो सदस्य ही हैं विधानसभा में। वैसे, कांग्रेस के भी 19 ही हैं, लेकिन पिछली बार से आठ अधिक, तब 11 ही थे।
लगातार दूसरा चुनाव क्या हारे, कांग्रेस के नेताओं को मानों सांप सूंघ गया। फिर भी आलाकमान के इशारों पर धरना-प्रदर्शन तो आयोजित कर ही लेते हैं। पिछले एक हफ्ते से सन्नाटे की वजह यह कि कांग्रेस के सभी विधायक और बड़े नेता दिल्ली में जमे रहे।
राहुल गांधी से कई दिन तक ईडी की पूछताछ चलती रही। अग्रिम पंक्ति के नेता हिरासत में तो राज्यों के नेताओं को बुलाना पड़ा मोर्चा संभालने।
अब अधिकांश लौट चुके हैं लेकिन फिर भी राजनीतिक गलियारों में अपेक्षाकृत खामोशी ही पसरी दिख रही है। हो सकता है थकान उतारने के बाद कांग्रेसी नेता जल्द नए हौसलों के साथ मैदान में सक्रिय नजर आएं।
कई रामबिलास, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं
आय से अधिक संपत्ति के मामले में शासन ने एक आइएएस अफसर रामबिलास यादव को निलंबित किया तो कुछ ही घंटों बाद विजिलेंस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यादव कृषि विभाग में अपर सचिव पद पर थे, तो विभागीय मंत्री गणेश जोशी से मीडिया ने प्रतिक्रिया ली।
मंत्री बोले, भ्रष्टाचार पर सरकार सख्त है, अच्छा कदम उठाया गया। साथ ही बोल गए कि अब भी राज्य में कई रामबिलास हैं, लेकिन मंत्री नेक नीयत से दिए गए अपने बयान पर फंस गए। विपक्ष कांग्रेस ने मंत्री के बयान को तुरंत लपक लिया।
प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने सवाल उठा डाला, अगर मंत्री को मालूम है कि अन्य भी कई रामबिलास हैं तो उनके विरुद्ध अब तक सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है। कांग्रेस ने बात तो पते की कही, अगर मंत्री को भ्रष्ट आचरण वाले अफसरों की जानकारी है तो भला एक्शन में विलंब क्यों हो रहा।
टिहरी बांध पर हिस्सेदारी को लेकर हरदा मुखर
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार होने का सकारात्मक असर यह हुआ कि पिछले 21 वर्षों से लटका परिसंपत्तियों का विवाद काफी कुछ सुलझ गया, लेकिन अब कांग्रेस ने टिहरी बांध पर हक को लेकर आवाज बुलंद कर दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस विषय को लेकर मुखर हैं। इंटरनेट मीडिया में अपनी एक पोस्ट में रावत ने इसका उल्लेख किया है। उन्होंने जो लिखा, उसका सार यह है कि टिहरी बांध क्योंकि हमारी धरती पर बना है, इसलिए इसका 25 प्रतिशत हिस्सा उत्तराखंड को मिलना चाहिए, न कि उत्तर प्रदेश को।
दरअसल, टिहरी बांध अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय बना था और इसमें नियमानुसार उसका एक-चौथाई हिस्सा है। रावत के अनुसार अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से इसका 25 प्रतिशत हिस्सा उसे मिलता रहा है, अब कानूनन यह उत्तराखंड को मिलना चाहिए। रावत ने सीधे प्रधानमंत्री से मांग की है कि उत्तराखंड को उसका अधिकार दिलाया जाए।