उत्तराखंड न्यूज: विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल की बढ़ेगी परेशानी

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Update: 2022-09-04 10:58 GMT
विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों की जांच शुरु होने के बाद अब विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल के ऊपर सबसे बड़ी मुसिबत आ सकती है. बताया जा रहा है कि उनकी पूरी सर्विस अब दांव पर लगी हुई है.
दरअसल मुकेश सिंघल को विधानसभा अध्यक्षों ने विशेषाधिकार के सहारे राष्ट्र की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस अफसरों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया. इसे ऐसे समझिए कि मुकेश सिंघल पर विधानसभा अध्यक्षों की जबरदस्त मेहरबानी रही.
मुकेश सिंघल विधानसभा में बतौर अध्ययन अधिकारी नियुक्त हुए. उन्हें प्रमोशन देकर वरिष्ठ अध्ययन अधिकारी बनाया गया. इसके बाद विधानसभा ने अध्ययन ऑफिसरों के पदनाम बदलने की अनुमति मांगी. वित्त विभाग ने बोला कि इससे वित्तीय बोझ बढ़ेगा. पर विधानसभा ने साफ किया कि केवल नाम बदला जाएगा और इससे वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा. लिहाजा वित्त विभाग ने अनुमति दे दी लेकिन शर्त लगाई कि इस कैडर के ऑफिसरों को किसी अन्य कैडर में समायोजित नहीं किया जाएगा.
इसके बाद मुकेश सिंघल पर मेहरबानी जारी रही. यही नहीं नियम खिलाफ मुकेश सिंघल को सचिव कैडर में समायोजित कर दिया गया. उन्हे उप सचिव से होते हुए संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति दी गई. इसी दौरान विधानसभा के सचिव जगदीश चंद्र रिटायर हो गए. उधर प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए मुकेश सिंघल को प्रभारी सचिव और बाद में विधानसभा का सचिव बना दियासूत्र बतातें हैं कि मुकेश सिंघल पर विधानसभा अध्यक्षों की मेहरबानी का अंजाम ये हुआ कि वो लेवल 14 की पे स्केल तक पहुंच गए. यानी 16 वर्ष की लंबी जॉब करने के बाद जितना एक आईएएस अफसर तनख्वाह पाता है उतनी ही तनख्वाह अब मुकेश सिंघल को भी मिलने लगी

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