उत्तराखंड चुनाव : BJP के 15 और कांग्रेस के सात बागियो ने हाईकमान की अपील ठुकराई, चुनावी मैदान में उतरे विधायक से लेकर पूर्व मंत्री

तमाम कोशिश के बावजूद भाजपा के 15 और कांग्रेस के सात बागियों ने आखिरकार पार्टी नेतृत्व की अपील ठुकराते हुए चुनाव मैदान में बने रहने का ऐलान कर दिया है।

Update: 2022-02-02 04:37 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तमाम कोशिश के बावजूद भाजपा के 15 और कांग्रेस के सात बागियों ने आखिरकार पार्टी नेतृत्व की अपील ठुकराते हुए चुनाव मैदान में बने रहने का ऐलान कर दिया है। इसमें मौजूदा विधायक से लेकर पूर्व मंत्री तक शामिल हैं। अब पाटियां भले ही बागियों पर सख्ती दिखा रही हों, लेकिन कुछ समय बाद सभी बागियों को देर सबेर सियासी ठिकाना मिल ही जाता है। इस कारण बागी पार्टियों की परवाह भी नहीं करते हैं।

चुनाव दर चुनाव सियासी दलों को अधिकृत उम्मीदवारों के सामने बागियों की मौजूदगी का सामना करना पड़ता है। जो आमतौर पर समान वोट बैंक पर चोट कर अधिकृत प्रत्याशी के लिए संकट खड़ा कर देते हैं। नाम वापसी न लेने वाले उम्मीदवारों को भले ही पार्टियां तब छह साल मे लिए निकाल देती हैं, लेकिन ज्यादातर की कुछ समय बाद ही सम्मान सहित वापसी भी हो जाती है।
कुछ बागी तो चुनाव में दमदार प्रदर्शन करने का ईनाम अगले चुनाव में टिकट हासिल करने के रूप में भी मिलता है। मौजूदा चुनाव में ही कांग्रेस ने सहसपुर से आर्येंद्र शर्मा और नरेंद्र नगर से ओमगोपाल रावत को इस बार टिकट दिया है। दोनों ही पिछले चुनाव में अलग अलग दलों से बगावत कर चुनाव लड़े थे, पिछले चुनाव के दमदार प्रदर्शन के आधार पर ही उन्हें इस बार टिकट मिल गया।
इसी तरह भाजपा ने यमकेश्वर में रेणु बिष्ट को टिकट दिया है। जो पूर्व में कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ दमदार प्रदर्शन कर चुकी है। दूसरी तरफ कई ऐसे नेता भी हर चुनाव में बागी बनते हैं, जो पूर्व में सरकार में दर्जाधारी रह चुके हों। दर्जा मिलते ही ज्यादातर नेता खुद चुनाव मैदान में डट जाते हैं। जिस कारण पार्टियों में सिर फुटव्वल की नौबत आती है।
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