लड़कियों के सपने परंपराओं ने तोड़े

Update: 2022-10-01 08:40 GMT

हमारे भी है सपने, हम भी कुछ बने।

हम भी कुछ कर के दिखाएं।।

मगर लोगों के ताने, सुन-सुनकर सभी सपने तोड़े।

घुट घुट कर मरते रहे, पर मुंह न खोले।।

चेहरे पर नकली हंसी दिखाते रहे, आंसू छुपाते रहे।

पर परंपरा न तोड़ी, जमाना बोला लड़कियों के नहीं होते सपने।।

मगर हिम्मत न छोड़ी और न हिम्मत तोड़ी।

परंपरा को छोड़े, बेटी को पढ़ाएं, और आगे बढ़ाएं।।

सपने न तोड़ें, हो सके तो साथ निभाएं।।

(चरखा फीचर)

दीक्षा आर्य

सिमतोली, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

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