72 की उम्र में कालिंदीखाल ट्रैक पार करने वाले पहले ट्रैकर बने कोलकाता के ये शख्स

कालिंदीखाल ट्रैक पार करने वाले पहले ट्रैकर बने कोलकाता के ये शख्स

Update: 2022-06-15 16:46 GMT
उत्तरकाशी: दुनिया के सबसे ऊंचे एवं विकट ट्रैक रूट में शामिल कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक (6010 मीटर) से गुजरते हुए युवाओं की भी हिम्मत जवाब देने लगती है।
लेकिन, बंगाल के कोलकाता के घुगुडंगा के 72-वर्षीय अमल कुमार दास ने सफलतापूर्वक इस ट्रैक को पार कर साबित कर दिखाया कि उम्र का आंकड़ा उनके लिए सिर्फ गिनती है। गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक आरएन पांडेय बताते हैं कि इस उम्र में 109 किमी लंबे कालिंदीखाल ट्रैक को पार करने वाले अमल पहले व्यक्ति हैं। अब तक 62 वर्ष तक के ही ट्रैकर यहां से गुजरे हैं।
अमल को बचपन से ही ट्रैकिंग का शौक रहा, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों ने घुमक्कड़ी की पूरी छूट नहीं दी। एसबीआइ में दार्जिलिंग पोस्टिंग के दौरान उन्होंने छोटे ट्रैक व सुदूरवर्ती गांवों की ट्रैकिंग की।
वर्ष 2010 में एसबीआइ में प्रबंधक पद से सेवानिवृत्ति के बाद अमल अपना घुमक्कड़ी का शौक पूरा करने में जुट गए। बीते 12 साल में वह मयाली पास, हरकीदून, नंदनवन सहित कई ट्रैक पार कर चुके हैं।
वर्ष 2017 में उन्होंने कालिंदीखाल ट्रैक पार करने की ठानी और अक्टूबर 2019 में एक जर्मन पर्वतारोही दल के साथ उन्हें यह मौका मिला। लेकिन, जर्मन ट्रैकर की तरह तेज न चल पाने के कारण उन्हें आधे रास्ते से लौटा दिया गया।
इस बार मई आखिर में जब वह बंगाल से ट्रैकिंग के लिए निकले तो घर में नहीं बताया कि कालिंदीखाल की ट्रैकिंग पर जाएंगे। बताते तो पत्नी-बच्चे रोक लेते। उत्तरकाशी की स्नो स्पाइडर ट्रैक एंड टूर एजेंसी ने उन्हें अपने दल में शामिल कर लिया।
दो जून को गंगोत्री से ट्रैकिंग की शुरू हुई और 109 किमी की विकटता को पार कर आखिरकार 13 जून को वह बदरीनाथ पहुंच गए।
रोमांच भरे ट्रैक में जोखिम भी
रोमांच भरे इस ट्रैक में जोखिम भी कम नहीं हैं। गंगोत्री-कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक को पूरा करने में दस से 12 दिन लगते हैं। इस बीच सात दिन तक बर्फीले क्षेत्र से गुजरना पड़ता है। मौसम का मिजाज बदलने पर ट्रैकर रास्ता तक भटक जाते हैं। ऐसी ही परिस्थितियों में बीते 12 साल में 30 से अधिक यहां ट्रैकर जान गंवा चुके हैं।
अमल कुमार की दिनचर्या
72-वर्षीय अमल बताते हैं कि उन्होंने बचपन में जिमनास्टिक का प्रशिक्षण लिया। कुछ वर्षों से वह नियमित योग-प्राणायाम भी कर रहे हैं। धूमपान, शराब व तंबाकू से बहुत दूर हैं। बंगाली हैं, इसलिए दाल, मछली और चावल उनका प्रिय भोजन है।
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