अब बागेश्वर में रहने वाले 12 साल के हरीश कोरंगा को ही देख लें, जिस उम्र में ज्यादातर बच्चे मोबाइल-वीडियो गेम से चिपके रहते हैं, उस उम्र में हरीश ने एक ऐसा कारनामा किया है, कि आप भी वाह-वाह कह उठेंगे। हरीश ने घर में पड़े कबाड़ से जेसीबी मशीन बनाई है। जो भी इस मशीन को देखता है, वो हैरान रह जाता है। हरीश कोरंगा कपकोट के दूरस्थ और दुर्गम गांव में रहते हैं। उनका गांव आज भी फोन नेटवर्क कवरेज से बाहर है। वो बागेश्वर के दूरस्थ क्षेत्र स्थित भनार के सरकारी स्कूल में सातवीं कक्षा के छात्र हैं। सीमित संसाधनों में किसी तरह गुजर-बसर हो रही है। आगे पढ़िए
हरीश को बचपन से ही जो हाथ लगे उसी से जोड़-तोड़ करके तकनीक सीखने की आदत रही है। घरवाले उसे जो भी खिलौने दिलाते हैं, वह उसकी तकनीक को जानने के लिए उत्सुक रहता है। हरीश के पिता कुंदन कोरंगा जेसीबी ऑपरेटर हैं। यही वजह रही की हरीश में जेसीबी की तकनीक जानने की जिज्ञासा पैदा होने लगी। वो कई बार पिता के साथ जेसीबी देखने गया और घर में जेसीबी बनाने की कोशिश करने लगा। कुछ ही समय में उसने घरेलू सामग्री, बेकार मेडिकल इंजेक्शन, कॉपियों के गत्ते, पेटी और आइसक्रीम की डंडियों से हाइड्रोलिक पद्धति पर आधारित ऐसी जेसीबी मशीन बना दी कि देखने वाला हर शख्स हैरान रह गया। इस पहाड़ी बच्चे का कारनामा अब सोशल मीडिया पर वायरल है। लोग प्रतिभाशाली हरीश की पीठ थपथपा रहे हैं।