हरिद्वार के मंगलौर में बकरीद पर कुर्बानी पर कोई रोक नहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा- दे सकेंगे बूचड़खाने में पशुओं की बलि

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गुरुवार को हरिद्वार जिले में कहीं भी वध पर प्रतिबंध लगाने वाले एक सरकारी आदेश पर रोक लगा दी, हालांकि केवल 10 जुलाई को सिर्फ मंगलौर में मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद मनाने के लिए जानवरों की बलि दे सकेंगे

Update: 2022-07-08 02:22 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड हाई कोर्ट (Uttarakhand High Court) ने गुरुवार को हरिद्वार जिले में कहीं भी वध पर प्रतिबंध लगाने वाले एक सरकारी आदेश पर रोक लगा दी, हालांकि केवल 10 जुलाई को सिर्फ मंगलौर में मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद मनाने के लिए जानवरों की बलि (animal slaughter in Haridwar) दे सकेंगे. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हालांकि निर्देश दिया कि जानवरों का वध केवल "कानूनी रूप से अनुपालन" बूचड़खाने में किया जाए, न कि सड़कों पर.

पिछले साल मार्च में राज्य सरकार ने हरिद्वार को 'वध-मुक्त' घोषित करते हुए जिले के दो नगर निगमों, दो नगर पालिका परिषदों और पांच नगर पंचायतों में संचालित सभी बूचड़खानों को जारी की गई मंजूरी रद्द कर दी थी. यह आदेश कुंभ मेले से पहले आया था, जब जिले के भाजपा विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर "हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर" में बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
याचिकाकर्ता ने अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला आदेश बताया
इस आदेश के खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार धार्मिक क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित कर सकती है लेकिन पूरे जिले में बंद नहीं कर सकती है. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. वहीं, सरकार का यह आदेश अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. याचिकाकर्ता ने 10 जुलाई को बकरीद को देखते हुए सरकार के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिका में यह भी कहा गया है कि मंगलौर में 87 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं. इसलिए बकरीद पर उन्हें पशुवध करने की इजाजत दी जाए.
स्लाटर हाउस होते हुए भी सकड़कों पर किया गया पशुवध
इस मामले में सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट में कहा कि पिछले साल भी बकरी ईद पर इन लोगों को छूट दी गयी थी परन्तु इन लोगों के द्वारा स्लाटर हाउस होते हुए भी सड़कों और गलियों में पशुवध किया गया. जिसकी फोटो याचिका कर्ता द्वारा पेश की. जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए याचिकर्ताओं को सख्त निर्देश दिए कि पशुवध नवनिर्मित पशुवधशाला में ही करें. बकरीद इस्लाम धर्म को मनाने वालों का प्रमुख त्योहार है. इसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है. ईद-उल-अजहा का अर्थ कुर्बानी वाली ईद से है. इस साल भारत में बकरीद 10 जुलाई 2022, दिन रविवार को मनाए जाने की संभावना है.
Tags:    

Similar News