इस देवता का मुंह पाताल में और कमर है धरती पर हैं, नग्नावस्था के कारण भक्त करते हैं पीठ दिखा कर दर्शन
आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे मंदिर की जिसके बारे में शायद आपने कभी सुना होगा कि किसी मंदिर में भगवान के दर्शन करना प्रतिबंधित हो सकता है।
जनता से रिश्ता। आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे मंदिर की जिसके बारे में शायद आपने कभी सुना होगा कि किसी मंदिर में भगवान के दर्शन करना प्रतिबंधित हो सकता है। आज हम बात करने जा रहे है अपनी समृद्ध धार्मिक संस्कृति और मान्यताओं के लिए देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड के एक ऐसा मंदिर जो पोखू देवता का मंदिर है।
देवता पर है लोगो का अटूट विश्वास और श्रद्धा
आपको बता दें कि इस मंदिर मेंं पुजारी से लेकर श्रद्धालुओं के देवता की मूर्ति के दर्शन करने पर पाबंदी है लेकिन इसके बाद भी लोगों में देवता के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास आज भी कायम है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 160 किमी दूर सीमांत विकास खंड मोरी में यमुना नदी की सहायक टौंस नदी के किनारे नैटवाड़ गांव में पोखू देवता का प्राचीन मंदिर स्थित है।
पोखू देवता को मानते है राजा
वहीं, लोग पोखू देवता को इस क्षेत्र का राजा मानते है। जिन्हें क्षेत्र के प्रत्येक गांव में दरातियों व चाकुओं के रूप में देवता की पूजा की जाती है और यह भी कहा जाता है कि देवता का मुंह पाताल में और कमर के ऊपर का भाग पेट आदि धरती पर हैं, ये उल्टे हैं और नग्नावस्था में हैं। इसलिए इस हालत में इन्हें देखना गलत है, यही कारण है कि पुजारी से लेकर सभी श्रद्धालु इनकी ओर पीठ करके पूजा किया करते हैं।
मंदिर में स्थापित है शिवलिंग
इस गांव की ऐसी मान्यता चली आ रही है कि क्षेत्र में किसी भी प्रकार की विपत्ति या संकट आता है तो पोखू देवता गांव के लोगों की मदद करते है और नवंबर के महीने में क्षेत्र के लोगों द्वारा यहां भव्य मेला भी आयोजित किया जाता है। जिसमें रात के दौरान मंदिर का पुजारी गांव के संबंध में भविष्यवाणी भी करता है। आपको बता दें कि नैटवाड़ स्थित पोखू देवता के मंदिर के पहले कक्ष में बलि की वेदी पर खून के सूख चुके छीठें हैं। इसके अंदर के कक्ष में शिवलिंग स्थापित है। जिसके पीछे पोखू देवता का कक्ष है।
क्षेत्र में नहीं होती कभी चोरी
वहीं, पोखू देवता भगवान शिव के सेवक हैं जिन्हें प्राचीन वेद पुराणों में पोखू महाराज को कर्ण का प्रतिनिधि व भगवान शिव का सेवक माना गया है। जिनका स्वरूप डरावना और अपने अनुयायियों के प्रति कठोर स्वभाव रखने वाला है। इनके क्षेत्र में कभी चोरी व अन्य कोई अपराध नहीं हुए।