इतने हजार प्राइमरी स्कूलों में चलाया जाएगा कैंपेन, मुख्यमंत्री धामी ने किया हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम का शुभारंभ
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम उत्तराखंड (Dettol School Hygiene Education Program Uttarakhand) का शुभारंभ किया. डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम प्रदेश के सभी 13 हजार प्राथमिक स्कूलों में चलाया जाएगा. इसके लिए शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी (Director General of Education Banshidhar Tiwari) और डायरेक्टर एक्सटर्नल अफेयर्स एवं पार्टनरशिप, एसओए, रेकिट रवि भटनागर के मध्य एमओयू भी साइन किया गया है.
डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम उत्तराखंड का शुभारंभ पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम से बच्चों में स्वच्छता के प्रति एवं दैनिक व्यवहार में परिवर्तन आएगा. उन्होंने कहा कि बच्चों में व्यक्तिगत, स्कूलों, घरों एवं आस-पास के क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जन्म से 6 साल की आयु तक बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास सबसे तेज होता है. जीवन के शुरूआती चरण में बच्चों को जो अनुशासन मिलता है, उसी का अनुसरण कर बच्चे आगे बढ़ते हैं. आने वाले 25 साल देश का अमृतकाल के होंगे. आज के ये बच्चे 25 साल बाद देश के कर्णधार होंगे. इनको सही दिशा देना जरूरी है.
सीएम धामी ने किया डेटॉल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम का शुभारंभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए राज्य में 4457 को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल वाटिकाएं प्रारंभ हो चुकी हैं. प्रवेशोत्सव, आरोही, कौशलम, आनन्दम, विद्या सेतु जैसे नए कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं.
ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय स्टूडियो तथा राज्य के समस्त 13 जिलों के 500 विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाओं की स्थापना की जा चुकी है. उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति व इंडियन नॉलेज सिस्टम से परिचित कराने के उद्देश्य से वैदिक विज्ञान, वैदिक गणित व भगवत गीता से प्रबंधन परिचय जैसे विषयों को सह-पाठ्यक्रम के रूप में लागू किया गया है. उच्च शिक्षण संस्थानों में रिसर्च और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्टार्ट-अप पॉलिसी लागू की गई है.