कोविशिल्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कुछ दिनों से सियासत जारी
विशेषज्ञों ने कहा, घबराने की जरूरत नहीं
देहरादून: कोविशिल्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कुछ दिनों से सियासत जारी है। विपक्ष सवाल उठा रहा है, तो वहीं सत्ता पक्ष सवालों का मुस्तैदी से जवाब देने में जुटा है। इस बीच विशेषज्ञ डॉक्टरों ने लोगों से न घबराने की अपील की है।
यूके की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार लंदन के कोर्ट में स्वीकार किया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लगने वाली उसकी वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसके बाद इस पर सियासत तेज हो गई है। राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इस वैक्सीन के फायदे ज्यादा हैं और नुकसान बेहद कम हैं। इसलिए कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन सेफ है और जिसको साइड इफेक्ट होने थे, वो वैक्सीनेशन के बाद ही हो गए होंगे।
विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविशील्ड को लेकर आ रही खबरों से घबराने की जरूरत नहीं है।
कार्डियोलाजिस्ट डॉ. एसडी जोशी ने कहा कि कोविड की वैक्सीन लगने के एक से छह हफ्ते के बाद साइड इफेक्ट आ जाते हैं। लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। अब तक 230 करोड़ वैक्सीन की डोज देश में लग चुकी है। यदि साइड इफेक्ट होते तो, अब तक आधे से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए घरबराएं नहीं।
वहीं न्यूरोसर्जन डॉ. महेश कुड़ियाल ने भी कहा कि वैक्सीन को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि ब्रिटेन की अदालत में हलफनामा देकर सीरम कंपनी ने स्वीकार किया है उनकी वैक्सीन के कारण हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज व ब्लड क्लॉटिंग की आशंका है। देश में करोड़ों लोगों को कोविशिल्ड वैक्सीन लगी है। इससे हर शख्स के मन में भय है।
वहीं बीजेपी के प्रदेश मीडिया मनवीर चौहान ने कहा कि करोड़ों लोगों के जीवन की रक्षा करने वाली वैक्सीन के खिलाफ, जिस तरह से कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा दुष्प्रचार किया जा रहा है, वो किसी एजेंडा का हिस्सा है।
देश में वैक्सीन ने करोड़ों लोगों की जान बचाई। उस समय भी विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे। मोदी वैक्सीन कह कर इसका दुष्प्रचार किया गया। बाद ने उन्होंने खुद भी वैक्सीन लगवाई। भारत में निर्मित वैक्सीन का पूरी दुनिया ने लाभ उठाया। लेकिन आज देश में चुनावी माहौल के दौरान दुष्प्रचार कर जनता को भ्रमित किया जा रहा है।