अब स्पीकर के फैसले पर सबकी निगाहें, उत्तराखंड विधानसभा में हुईं भर्तियों पर बयानों से माहौल गर्म
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में कथिततौर पर पिछले दरवाजे से हुई भर्तियों की जांच को लेकर माहौल गर्म है। नियुक्तियों पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व स्पीकर व वित्त मंत्री की अलग-अलग प्रतिक्रियाओं ने सियासत को और गरमा दिया है। अब सबकी निगाहें विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी पर लगी हैं। विदेश दौरे से लौटी स्पीकर के मंगलवार को देहरादून पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। वह पिछले एक हफ्ते से विदेश दौरे पर हैं और कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन के सम्मेलन में भाग लेकर स्वदेश लौट चुकी हैं। मंगलवार को वह नई दिल्ली से देहरादून आ सकती हैं। चूंकि विधानसभा की सभी भर्तियों की जांच कराए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी स्पीकर से अनुरोध करने की बात कह चुके हैं। इसलिए निगाहें स्पीकर खंडूड़ी के फैसले पर हैं। माना जा रहा है कि स्पीकर तात्कालिक परिस्थितियों में सबसे पहले पूरे मामले से जुड़े तथ्यों का पता लगाएंगी। इस बात की संभावना है कि मामले में जांच का निर्णय लेने से पहले वह मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट कर सकती हैं। इसके बाद वह किसी निर्णय पर पहुंचेंगी।
भर्तियों की जांच होती है तो कोई दिक्कत नहीं : अग्रवाल
पूर्व स्पीकर व वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यदि उनके कार्यकाल की भर्तियों की जांच होती है तो इसमें उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने दोहराया कि आवश्यकता होने पर ही नियुक्तियां की जाती हैं। सूत्रों के मुताबिक, स्पीकर के लौटने के बाद इसी हफ्ते विधानसभा में भर्तियों की जांच पर फैसला हो सकता है।
नियुक्तियों पर सवाल सुप्रीम कोर्ट का अपमान : कुंजवाल
हल्द्वानी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान जो भी नियुक्तियां हुई हैं, उनकी जांच सुप्रीम कोर्ट ने की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी नियुक्तियों को वैध बताया था, जो भी आरोप लगे थे वे उसी समय निराधार साबित हो गए थे। इन नियुक्तियों पर सवाल उठाना सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।
विस कानून बनाती है, वहां न्याय होना चाहिए : त्रिवेंद्र
विधानसभा में भर्ती पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी सवाल उठाने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि विधानसभा कानून बनाती है, वहां न्याय होना चाहिए। उसके लिए लोक हित व राज्य हित सर्वोपरि होना चाहिए। भर्तियों के लिए नियम-कायदे बनें हैं उनका पालन हो। पारदर्शिता कहने के लिए नहीं दिखनी भी चाहिए।
एक रिश्तेदार बता दो जिसे मेरे प्रभाव से नौकरी मिली : हरीश
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कूद पड़े हैं। उन्होंने चुनौती दी कि उनके अब तक के सार्वजनिक जीवन में एक ऐसा व्यक्ति बता दें जो उनके परिवार, नातेदार या रिश्तेदारी से हो और उसे उनके प्रभाव से नौकरी दी गई हो। वर्ष 2016 में रावत के मुख्यमंत्रित्वकाल में ही तत्कालीन स्पीकर कुंजवाल ने विस में 158 भर्तियां कीं, जिन पर सवाल उठ रहे हैं। उन्हें हरीश रावत के सबसे करीबी राजनेताओं में माना जाता है। रावत ने नियमों के विरुद्ध हुई नियुक्तियों को विस में प्रस्ताव पारित कर रद्द करने की मांग उठाई।