'धरती के भगवान' नहीं पसीजे, मासूम ने पिता की गोद में ही तोड़ा दम, पढ़ें पूरा मामला
उत्तराखंड न्यूज
ऋषिकेश: उत्तराखंड के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान ऋषिकेश एम्स में बेड नहीं मिलने के कारण 12 दिन के बच्चे ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने एम्स की इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप भी लगाया है. बेड खाली नहीं होने का यह पहला मामला नहीं है. पहले भी कई बार बेड खाली नहीं होने की वजह से गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज एम्स में नहीं हो पाया है, जिस वजह से उन मरीजों की मौत भी हुई है.
जिन उम्मीदों के साथ ऋषिकेश एम्स की स्थापना की गई थी. उन उम्मीदों पर एम्स प्रशासन खरा उतरता दिखाई नहीं दे रहा है. लगातार एम्स में बेड नहीं मिलने की वजह से मरीज प्राइवेट अस्पतालों में महंगे इलाज के लिए ठोकरें खाते हुए दिखाई दे रहे हैं. बावजूद इसके एम्स की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के प्रति राज्य सरकार का कोई भी मंत्री अपनी चुप्पी नहीं तोड़ रहा है. वहीं बच्चे की मौत के बाद पिता ने सोशल मीडिया पर एक अपनी वीडियो वायरल कर सरकार से इंसाफ मांगा है. वीडियो में बच्चे के पिता ने साफ कहा कि जब एम्स के अंदर बेड मिलते ही नहीं है तो एम्स में मरीज का उपचार आखिर कैसे होगा? वीडियो में बच्चे के पिता ने एम्स की स्वास्थ्य सेवाओं पर कई सवाल खड़े किए.
आरोप लगाया कि वह डॉक्टरों के आगे हाथ जोड़कर विनती करते रहे, बिलखते रहे, मगर डॉक्टरों ने उनके बच्चे को बचाने के लिए कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया. मजबूरी में वह अपने बच्चे को लेकर एक प्राइवेट अस्पताल की ओर दौड़े. मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था. जब तक वह प्राइवेट अस्पताल पहुंचे तब तक उनके 12 दिन के बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह गुसाईं मूल रूप से श्रीनगर गढ़वाल के रहने वाले हैं. बीते सोमवार की शाम को वह अपने 12 दिन के शिशु को गंभीर अवस्था में एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) की बाल रोग विभाग की इमरजेंसी में लेकर आए थे. भूपेंद्र सिंह गुसाईं के मुताबिक उन्हें यहां पर काफी इंतजार करवाया गया. बच्चे को आइसीयू बेड की जरूरत थी, आखिर में कह दिया गया कि हमारे यहां बेड खाली नहीं है. इसलिए बच्चे को कहीं और ले जाओ. जिसके बाद वह मजबूरी में यहां से अपने शिशु को लेकर हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट (Himalayan Hospital Jollygrant) के लिए रवाना हुए. बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. उन्होंने बताया कि उनका एक ही बच्चा था.
12 दिन के बच्चे की मौत का मामला जैसे ही मीडिया में सुर्खिया बना तो एम्स प्रशासन ने भी इस मामले पर अपनी सफाई दी और हॉस्पिटल में पर्याप्त बेड नहीं होने का रोना रोया. एम्स प्रशासन का दावा है कि धीरे-धीरे बेड की संख्या बढ़कर 960 पहुंच चुकी है, जिसे और ज्यादा बढ़ाने की प्रक्रिया की जा रही है. एम्स के प्रभारी एमएस डॉ संजीव मित्तल ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए बताया है कि अस्पताल में बेड की कमी थी. इसलिए बच्चे को भर्ती नहीं लिए जा सका.