खण्डग्रास सूर्यग्रहण
दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को खण्डग्रास सूर्यग्रहण है । ग्रहण पूर्व भारत के कुछ भाग छोड़कर पूरे भारत में व विदेशों में भी कुछ स्थानों में दिखेगा। जहाँ ग्रहण दिखायी देगा, वहाँ पर नियम पालनीय हैं।
देश और विदेशों में कुछ प्रमुख शहरों के ग्रहण के प्रारम्भ और समाप्त होने का समय -
भारत में -
शहर का नाम - प्रारम्भ (शाम) - समाप्त (शाम)
अहमदाबाद -
4-38 से 6-06 तक
नई दिल्ली -
4-28 से 5-42 तक
सूरत -
4-43 से 6-07 तक
मुंबई -
4-49 से 6-09 तक
पुणे -
4-51 से 6-06 तक
नागपुर -
4-49 से 5-42 तक
नासिक -
4-47 से 6-04 तक
जोधपुर -
4-30 से 6-01 तक
लखनऊ -
4-36 से 5-29 तक
भोपाल -
4-42 से 5-47 तक
रायपुर (छ.ग.) -
4-50 से 5-32 तक
चंडीगढ़ -
4-23 से 5-41 तक
राँची -
4-48 से 5-15 तक
पटना -
4-42 से 5-14 तक
कोलकाता -
4-51 से 5-04 तक
भुवनेश्वर -
4-56 से 5-16 तक
चेन्नई -
5-13 से 5-45 तक
बेंगलुरु -
5-12 से 5-56 तक
हैदराबाद -
4-58 से 5-48 तक
जम्मू -
4-17 से 5-47 तक
गुवाहटी -
विदेशों में -
राष्ट्र का नाम (शहर का नाम) - प्रारम्भ - समाप्त
भूटान (थिम्पू) -
शाम 5-10 से शाम 5-24 तक
नेपाल (काठमांडू) -
शाम 4-52 से शाम 5-26 तक
सिंगापुर (सिंगापुर) -
शाम 4-58 से शाम 5-49 तक
यू.के. (लंदन) -
सुबह 10-08 से मध्याह्न 11-51 तक
यू.ए.ई (दुबई) -
दोपहर 2-41 से शाम 4-54 तक
हाँगकाँग (हाँगकाँग) -
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इंडोनेशिया (जकार्ता) -
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ताईवान (ताईपे) -
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थाईलैंड (बैंकॉक) -
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ऑस्ट्रेलिया (कैनबरा) -
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यू.एस.ए. (सैनजोस, कैलिफोर्निया) -
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यू.एस.ए. (शिकागो) -
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यू.एस.ए. (वाशिंगटन डी.सी.) -
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यू.एस.ए. (न्यूयॉर्क) -
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यू.एस.ए. (न्यूजर्सी) -
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यू.एस.ए. (बोस्टन) -
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कनाडा (टोरंटो, ओंटारियो) -
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जिन स्थानों में समय नहीं लिखा गया है, वहाँ पर ग्रहण नहीं दिखायी देगा ।
जिन शहरों के नाम सूची में नहीं दिये गये हैं, वहाँ पर अपने नजदीकी शहर के ग्रहण का समय देखें ।
ग्रहण सम्बंधी कुछ महत्वपूर्ण बातें -
सूर्यग्रहण प्रारम्भ होने से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व सूतक (ग्रहण-वेध) लग जाता है ।
सूतक के पहले जिन पदार्थों में कुश, तिल या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते ।
तुलसी पत्र 24 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे के पहले ही तोड़ कर रख लें ।
सूतककाल में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अति आवश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए ।
ग्रहण शुरु होने से अंत तक अन्न या जल ग्रहण करना निषिद्ध है ।
ग्रहण के समय भोजन करने से अधोगति, सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री-प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है ।
ग्रहण समाप्त होने पर पहने हुए वस्त्रों सहित स्नान करना चाहिए ।
ग्रहणकाल को साधनाकाल बनायें -
महर्षि वेदव्यासजी कहते हैं - 'सूर्यग्रहण के समय किया हुआ जप, ध्यान, दान आदि पुण्यकर्म दस लाख गुना फलदायी होता है । यदि गंगाजल पास में हो तो सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है ।'
ग्रहणकाल में गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है ।
ग्रहण के संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है । श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात् ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले । ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक्सिद्धि प्राप्त कर लेता है ।
पंडित राजेन्द्र प्रसाद बेबनी