ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों देखते हुए उत्तराखंड में नाइट कर्फ्यू की तैयारी, बढ़ाई जा सकती हैं पाबंदियां
राज्य सरकार ओमीक्रोन को रोकने के लिए प्रदेश में नाइट कर्फ्यू के साथ अन्य पाबंदियां लगाने पर विचार कर रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राज्य सरकार ओमीक्रोन को रोकने के लिए प्रदेश में नाइट कर्फ्यू के साथ अन्य पाबंदियां लगाने पर विचार कर रही है। राज्य में ओमीक्रोन का मरीज मिलने के बाद मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु की अध्यक्षता में गुरुवार को उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में सभी डीएम और सीएमओ को बीमारी से बचाव के उपाय व अस्पतालों में इंतजाम दुरस्त करने के निर्देश दिए गए। निर्णय लिया गया कि ओमीक्रोन को लेकर रोज बैठक होगी और जरूरत पड़ने पर नाइट कर्फ्यू के साथ पाबंदियां लगाई जाएंगीं। साथ ही तय हुआ कि उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को रोकने और टीकाकरण के लिए घर घर सर्वे किया जाएगा।
ओमीक्रोन के गंभीर मरीज नहीं, पर एहतियात जरूरी
दिल्ली सहित देशभर में ओमीक्रोन के मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं दिखे हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए लोगों को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर अतुल कक्कड़ ने सलाह दी कि जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाया है, वे जल्द से जल्द टीकाकरण पूरा कराएं। इसके अलावा भी तमाम एहतियात बरतने की जरूरत है।
लोगों को ये सावधानियां बरतने की सलाह
टीकाकरण के योग्य लोगों को तुरंत खुराक लेनी चाहिए
जिन लोगों को पहली खुराक मिल गई है, उन्हें दूसरी खुराक लेने से नहीं चूकना चाहिए
लोगों को नियमित रूप से मास्क पहनना चाहिए, उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए
ऐसे समारोहों से बचना चाहिए जहां से बड़े स्तर पर संक्रमण फैलने की आशंका है
कार्यक्रमों में संख्या कम करने की तैयारी
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने जांच और निगरानी बढ़ाने, रात में कर्फ्यू लगाने, बड़ी सभाओं का सख्त नियमन, शादियों और अंतिम संस्कार कार्यक्रमों में लोगों की संख्या कम करने जैसे रणनीतिक निर्णय को लागू करने की सलाह दी। एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि ओमीक्रोन बेहद संक्रामक है। इसलिए कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना बहुत जरूरी है। लोग मानदंडों का पालन करने में ढिलाई बरत रहे हैं। वर्तमान डेटा से पता चलता है कि टीके प्रभावी हैं और गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करते हैं तथा मौत के खतरे को घटाते हैं। सर गंगाराम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अतुल कक्कड़ कहते हैं कि दिल्ली में जो कोरोना के मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर पर हैं, वे ऐसे मरीज हैं, जिन्हें किडनी, लिवर या अन्य दूसरी बीमारियां पहले से थीं।