हाईकोर्ट नैनीताल ने बाहरी राज्यों की महिलाओं को UKPSC मुख्य परीक्षा में बैठने की इजाजत दी
हाईकोर्ट ने बाहरी राज्यों की महिलाओं को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हाईकोर्ट ने बाहरी राज्यों की महिलाओं को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मंगलवार को लोक सेवा आयोग को फिर से मैरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए। ताकि मैरिट के आधार पर अन्य राज्यों की महिलाओं को मुख्य परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिल सके। मुख्य परीक्षा अक्तूबर में होनी है।
उत्तर प्रदेश निवासी ऋचा शाही एवं अन्य ने याचिका में कहा है कि उत्तराखंड सरकार ने लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया है। जिसकी वजह से वह मैरिट लिस्ट से बाहर हो गई हैं। इस तरह का आरक्षण दिया जाना संविधान के कई अनुच्छेदों के विपरीत है। उन्होंने मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति कोर्ट से मांगी थी। जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिए।
छह मई को आया प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आयोग की अपर सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा में विभिन्न विभागों के 200 से अधिक पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 26 मई 2022 को आया। परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी की दो कट ऑफ लिस्ट निकाली गईं। उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट ऑफ 79 थी। याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना था कि उनके अंक 79 से अधिक थे, मगर उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया।
महिलाओं के 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर रोक
हाईकोर्ट नैनीताल ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित सेवा, प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी थी।