वन विभाग के पास निपटने को संसाधन नहीं, गुलदार से इंसानों की मौतें कैसे रुकेंगी

गुलदार से इंसानों की मौतें कैसे रुकेंगी

Update: 2022-08-08 10:17 GMT
उत्तराखंड में वन्यजीव मानव संघष की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक काे गुलदार अपना निवाला बना रहे हैं। यहीं नहीं, गुलदार पालतू जानवरों का भी शिकार कर रहे हैं। गुलदार के आतंक से ग्रामीण वन विभाग से गुहार लगाते हैं, लेकिन पिंजरे लगाने के बाद भी गुलदार पकड़ में नहीं आते हैं।
ग्रामीण इलाकों में इन दिनों गुलदार का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। कई स्थानों पर एक से ज्यादा गुलदार सक्रिय हैं। स्थिति यह है, कि इन गुलदारों से निपटने के लिए विभाग के पास संसाधनों की कमी है। वन क्षेत्र में दो-दो पिंजरे भी नहीं है। दरअसल, इन दिनों जिले के नगर समेत ग्रामीण इलाकों में आये दिन गुलदार की धमक से लोग दहशत में हैं।
रिहायसी इलाकों में भी गुलदार की धमक से हर कोई भयभीत है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी गुलदार ने दहशत फैलाई है, हालांकि गुलदार के बढ़ते हमलों और आबादी क्षेत्र में धमक के बीच इस साल राहत भरा रहा है। अब तक गुलदार के हमले में कोई भी जनहानि नहीं हुई है। वन विभाग के पास इनसे निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। कई इलाकों में ग्रामीणों की बार-बार मांग के बावजूद पिंजरा नहीं लग पाता है।
रिहायशी इलाकों में दिखाई दे रहे गुलदार
गुलदार की धमक कम होने का नाम नहीं ले रही है, गुलदार रिहायशी इलाकों में सबसे अधिक देखे जा रहे हैं। बीते दिनों कोसी के एक रेस्टोरेंट में घुसे दो गुलदारों की आपस में लड़ाई करते हुए वीडियो सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी, जिसके बाद लोगों में गुलदार की दहशत फैल गई। स्थिति यह है, कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अंधेरा होते ही घरों में दुबकने को मजबूर हैं।
चार सालों में 07 लोगों को बनाया शिकार
साल दर साल बढ़ रहे गुलदार के आंतक से लोग खौफजदा है। विभाग से मिली जानकारी अनुसार साल 2019 से अब तक सात लोग गुलदार के हमले में अपनी जान गंवा चुके है। जबकि 47 लोगों को गुलदार घायल कर चुका है। वहीं आए दिन कई पालतु मवेशियों को भी गुलदार अपना निवाला बना रहा है, जिससे लोग दहशत में है। इस साल अब तक कोई जनहानि नहीं हुई है।
मात्र 13 पिंजरे और एक ट्रैक्यूलाइजर गन
छह वन क्षेत्र वाले अल्मोड़ा वन प्रभाग अल्मोड़ा के पास मात्र 13 पिंजरे हैं, उनमें भी नौ ही सही हालत में है, जबकि चार टूटे हुए हैं। पिंजरों का आदान प्रदान दूसरे वन क्षेत्र को होता है लेकिन इस हिसाब से प्रत्येक वन क्षेत्र के पास दो-दो पिंजरे भी उपलब्ध नहीं हैं, जबकि विभाग के पास मौजूदा समय में केवल नौ ट्रैप कैमरा और एक ट्रैक्यूलाइजर गन उपलब्ध है।
घायल और मृतकों की संख्या साल दर साल
घायल मृतक
साल 2019 11 2
साल 2020 11 3
साल 2021 15 2
साल 2022 10 शून्य
गुलदार को पकड़ने के लिए वर्तमान में वन विभाग के पास नौ पिंजरे है। जरूरत के हिसाब से पिंजरे वन क्षेत्र को उपलब्ध कराये जाते है। पिंजरा बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहे है।
महातिम यादव, डीएफओ, वन प्रभाग अल्मोड़ा
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