आरटीई के तहटी प्राइवेट स्कूलों पढ़ रहे छात्रों की फीस अब महंगाई दर से होगी तय, जानिए क्या बना प्लान
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की फीस अब महंगाई की दर के अनुसार तय की जाएगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की फीस अब महंगाई की दर के अनुसार तय की जाएगी। यह बदलाव राज्य में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर होगा। इस बदलाव से प्राइवेट स्कूलों को प्रति छात्र दी जाने वाली अधिकतम फीस में 500 रुपये तक का इजाफा होने की उम्मीद है।
फीस संशोधन के लिए सरकार ने राज्य की नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली को बदल दिया है। इसके अनुसार भविष्य में केंद्र के श्रम मंत्रालय द्वारा जारी किए जाने वाले सीपीआई के अनुसार ही फीस को संशोधित किया जाएगा।
इसलिए हुआ परिवर्तन: वर्तमान में राज्य के करीब चार हजार प्राइवेट स्कूलों में 95 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं आरटीई कोटे के तहत पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी पढ़ाई का पूरा खर्च राज्य और केंद्र सरकार उठाती हैं। अब तक प्रति छात्र अधिकतम 1383 रुपये मासिक फीस तय है। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने इस फीस को कम बताते हुए हाईकोर्ट में केस दायर किया था। हाईकोर्ट ने सरकार को फीस संशोधन के निर्देश दिए। पिछले ढाई साल से फीस संशोधन की मशक्कत हो रही थी। वर्ष 2019-20 में शिक्षा विभाग ने 1383 के स्थान पर 1867 रुपये प्रतिमाह देने का प्रस्ताव सरकार को दिया था। लेकिन सरकार ने इसे सीपीआई पर केंद्रित करते हुए नए सिरे से प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं।
क्या है सीपीआई
सीपीआई के जरिए घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा की गई खरीद-फरोख्त और सेवाओं के औसत मूल्य का आकलन किया जाता है। वर्तमान में सीपीआई का आधार वर्ष 2012 को माना जाता है।