शर्मनाक! जब केदारनाथ के कपाट बंद थे, तो वहां चोर हुए सक्रिय, पुलिस पर उठे सवाल
शीतकाल में उत्तराखंड स्थित चार धामों के कपाट बंद रहते हैं।
रुद्रप्रयाग: शीतकाल में उत्तराखंड स्थित चार धामों के कपाट बंद रहते हैं। केदारनाथ, तुंगनाथ जैसे धामों में इस दौरान लोगों का प्रवेश वर्जित रहता है। कहते हैं कि शीतकाल में भगवान समाधि में लीन रहते हैं। मानवीय हस्तक्षेप से साधना में खलल पड़ सकता है, लेकिन शीतकाल में इन धामों की सुरक्षा व्यवस्था खतरे में रहती है।
शीतकाल बीतने के बाद जब कपाट खुलने का समय आता है तो मंदिर के आसपास स्थित घरों-दुकानों से सामान गायब मिलता है। केदारनाथ में रहने वाले अंकित सेमवाल ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है। अंकित कहते हैं कि जून 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने के बाद जब से पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुआ, तब से यहां शीतकाल में चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद स्थानीय लोग अपने घरों को बंद कर केदारनाथ के निचले इलाकों में चले जाते हैं, लेकिन कपाट खुलने के समय जब वो लौटते हैं तो घरों के दरवाजे, खिड़की टूटे हुए मिलते हैं। यहां सामान चोरी होना और तोड़फोड़ होना आम बात हो गई है।
हैरानी की बात ये है कि केदारनाथ में हर साल चोरी की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन आज तक किसी चोर की गिरफ्तारी नहीं हुई। शीतकाल में यहां पुनर्निर्माण कार्य कराने वाली कंपनी का स्टाफ, मजदूरों के अलावा प्रशासन-पुलिस के कर्मचारी भी रहते हैं, इस के बावजूद चोरी की घटनाओं का होना कहीं न कहीं प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा करता है। अंकित कहते हैं इस बार मेरे घर की खिड़की तोड़कर डीजल, कंबल, राशन चोरी कर लिया गया। मकान में तोड़फोड़ की गई। मैं जब सोनप्रयाग थाने में प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज कराने गया तो वहां पुलिस का बहुत अच्छा रेस्पांस नहीं मिला। अंकित सेमवाल जैसे कई भुक्तभोगी हैं, जो धाम में होने वाली चोरी की घटनाओं को लेकर प्रशासन से कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से शीतकाल में धाम की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।