मानसून के चलते उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन विभाग ने कस ली कमर, भूस्खलन होते ही सड़क खोलने तुरंत पहुंचेगी GPS युक्त JCB

उत्तराखंड न्यूज

Update: 2022-06-26 07:42 GMT
मानसून को देखते हुए उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन विभाग ने कमर कस ली है। प्रदेशभर में सभी मुख्य मार्गों पर भूस्खलन जोन चिन्हित करने के साथ ही इनके नजदीक जीपीएस युक्त जेसीबी मशीनें व अन्य उपकरण तैनात रहेंगे।
ऐसे में भूस्खलन होते ही बंद सड़क खोलने के लिए जेसीबी तुरंत पहुंचेगी। सचिवालय स्थित राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के सभागार में आपदा प्रबंधन में मीडिया की भूमिका विषय पर हुई कार्यशाला में यह जानकारी दी गई। बताया गया कि जेसीबी समेत अन्य उपकरणों पर जीपीएस (ग्लोबल पोजिश्निंग सिस्टम) लगा होने से आपदा कंट्रोल रूम से निरंतर मानीटरिंग होती रहेगी। साथ ही जेसीबी चालकों के मोबाइल नंबर भी कंट्रोल रूम में उपलब्ध रहेंगे।
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि प्रदेश में आपदा के दौरान बचाव एवं राहत कार्यों के दृष्टिगत गांवों में 16 हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। आपात स्थिति में ये सभी बचाव एवं राहत कार्यों में जुटेंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार की आपदा मित्र योजना में हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर जिलों में 298 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इस योजना के अगले चरण में 1700 लोग प्रशिक्षित किए जाएंगे। राज्यभर में संवेदनशील 48 स्थानों पर एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की तैनाती की गई है।
आपदा के दौरान संचार तंत्र को सशक्त करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। बताया गया कि दूरस्थ क्षेत्रों के 250 गांवों को सेटेलाइट फोन दिए जा चुके हैं। इसके अलावा 200 सेटेलाइट फोन तहसीलों व उप तहसीलों में उपलब्ध हैं। आपदा के दौरान इन फोन से सूचनाओं के आदान-प्रदान पर आने वाला खर्च सरकार वहन करती है।
अपर सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार भी मानसून सीजन में गोचर व पिथौरागढ़ में एक-एक हेलीकाप्टर की तैनाती रहेगी। इनका उपयोग आपदा के दौरान बचाव एवं राहत कार्यों में किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा चुके हैं। सुरकंडा में डाप्लर रडार का परीक्षण उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डा पीयूष रौतेला ने बताया कि मौसम की सटीक जानकारी के उद्देश्य से मुक्तेश्वर में डाप्लर रडार ने कार्य करना शुरू कर दिया है। सुरकंडा में इसका परीक्षण चल रहा है। उन्होंने बताया कि लैंसडौन में डाप्लर रडार के लिए भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही होनी है।
Tags:    

Similar News

-->