अधिकारियों की मनमानी बनी मुसीबत, कोर्ट ने आयकर विभाग पर लगाया 50 लाख रुपये का मुआवज़ा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयकर विभाग पर 50 लाख रुपये का हर्जाना लगाते हुए यह राशि तीन हफ्ते में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करने का निर्देश दिए हैं.

Update: 2022-08-17 06:15 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयकर विभाग पर 50 लाख रुपये का हर्जाना लगाते हुए यह राशि तीन हफ्ते में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करने का निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने बैंक आफ बड़ौदा में जमा ही नहीं की गई राशि पर आयकर निर्धारण की कार्रवाई पर नोटिस जारी करने और आपत्ति पर विचार न कर निरस्त करने को शक्ति का दुरुपयोग मानते हुए यह आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सभ्य न्याय व्यवस्था, अधिकारियों को देश के नागरिकों को परेशान करने की मनमानी करने की इजाजत नहीं देती.

कानून के शासन को कमजोर नहीं कर सकते- कोर्ट

कोर्ट ने कहा है कि यह नागरिकों के साथ अन्याय होगा कि अधिकारियों की मनमानी से उन्हें संपत्ति से वंचित होना पड़े. कल्याणकारी राज्य में अधिकारियों के आदेश, कानून के शासन को कमजोर नहीं कर सकते. अधिकारियों का कर्तव्य ही नागरिकों के अधिकार हैं जिन्हें परेशान करने की कार्यवाही शक्ति का दुरूपयोग है, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती.

हालांकि अपर सालिसिटर जनरल के अनुरोध पर एक सितंबर की सुनवाई की तिथि तक हर्जाना राशि के अमल को स्थगित कर दिया है. जस्टिस एस पी केसरवानी और जस्टिस जयंत बनर्जी की डिविजन बेंच ने एस आर कोल्ड स्टोरेज की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.

तय हो मनमाने अधिकारियों की जवाबदेही

कोर्ट ने याची के खिलाफ आयकर निर्धारण कार्यवाही व नोटिस रद कर दिया है. केंद्र सरकार के वित्त सचिव को एक महीने में ऐसा तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है. कार्यवाही खाली फार्मेलटी न होकर वास्तविक हो. कोर्ट ने भारत सरकार को ऐसा तंत्र बनाने का आदेश दिया है जिसमें लापरवाह मनमाने अधिकारियों की जवाबदेही तय हो सके.

याची की बैंक के प्रमाणपत्र के साथ आपत्ति

मालूम हो कि याची ने यूनियन बैंक में 3,41,81,000 रुपये कैश जमा किया. बैंक आफ बड़ौदा में कोई कैश जमा नहीं किया. फिर भी 13,67,24,000 रुपये बैंक आफ बड़ौदा में जमा करने के आरोप में कार्यवाही की गई. याची ने बैंक के प्रमाणपत्र के साथ आपत्ति की और कहा उसने बड़ौदा बैंक में पैसा जमा नहीं किया. नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर ने आपत्ति की अनदेखी कर उसे निरस्त कर दिया. ऐसा करने का कारण नहीं बताया, जिसे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई.

न्याय हो ही नहीं, दिखाई भी पड़ना चाहिए-कोर्ट

याची ने कहा पोर्टल परेशान करने के लिए बनाया गया है. वहां कोई सुनवाई नहीं होती. प्रमुख मुख्य आयकर आयुक्त को अर्ध न्यायिक कार्यवाही की बेसिक सिद्धांत तक मालूम नहीं है. कोर्ट ने कहा न्याय हो ही नहीं, दिखाई भी पड़ना चाहिए. न्याय किया जाय इसके लिए आपत्ति पर विचार किया जाना जरूरी है.


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