91 साल का पिता बेटे के ट्रांसफर के लिए बैठा आमरण अनशन पर, शिक्षा मंत्री ने दिया आश्वासन
शिक्षा विभाग में कार्यरत बेटे को अतिदुर्गम से सुगम इलाके में भेजे जाने के लिए 91 साल के पिता देहरादून में विधानसभा के बाहर अनशन पर बैठे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शिक्षा विभाग में कार्यरत बेटे को अतिदुर्गम से सुगम इलाके में भेजे जाने के लिए 91 साल के पिता देहरादून में विधानसभा के बाहर अनशन पर बैठे। पुलिस ने उनके टेंट को गिराकर हटाने का प्रयास किया, लेकिन वे देर शाम तक परिवार समेत डटे रहे। बाद में मौके पर पहुंचे तहसीलदार के आश्वासन पर वह अनशन से उठ गए।
क्या है पूरा मामला
श्रीनगर के अपर भक्तियाना निवासी 91 वर्षीय राज्य आंदोलनकारी गिरधारी लाल नैथानी ने पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजकर गुहार लगाई थी। पत्र में नैथानी ने अपनी बीमारी व उम्र का हवाला देते हुए बेटे का ट्रांसफर सुगम इलाके में करने की मांग उठाई। उन्होंने बताया कि उनका इकलौता बेटा देवेंद्र कुमार बीते 12 साल से राजकीय इंटर कॉलेज,सननौल, उत्तरकाशी में कार्यरत है, जो अति दुर्गम क्षेत्र है।
सुनवाई नहीं होने पर आमरण अनशन पर बैठे
बेटे के सुगम तबादले को वे शिक्षा निदेशक कार्यालय से लेकर शिक्षा मंत्री व सीएम तक से गुहार लगा चुके हैं। सुनवाई न होने पर वे मजबूरन आमरण अनशन को मजबूर हुए। उनके साथ उनकी पत्नी सुधा व लीलानंद पेटवाल भी बैठे। देर शाम तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़ ने मौके पर पहुंचकर उनसे ज्ञापन लिया। शिक्षा मंत्री से फोन पर बात कराई, जिसमें उन्हें सकारात्मक आश्वासन मिला। अब उन्हें शुक्रवार को ननूरखेड़ा स्थित निदेशालय बुलाया गया है।
सुनवाई नहीं हुई तो फिर बैठेंगे अनशन पर
आश्वासन मिलने के बाद नैथानी अनशन से उठ गए, पर चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह में मांग पूरी नहीं हुई तो फिर आमरण अनशन पर बैठेंगे। इससे पहले नैथानी ने बताया कि वे वर्तमान में पुत्रवधू सुभाषिनी के साथ जौलीग्रांट में स्वर्णभूमि, नंदा कॉलोनी में रहते हैं। नैथानी ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में मैंने सक्रिय भूमिका निभाई। कई बार जेल भी गया। मैं बीपी, शुगर और हृदय रोग से पीड़ित हूं। जौलीग्रांट में इलाज चल रहा है इसलिए वहीं रहता हूं।