25 प्राकृतिक जल स्त्रोत सूखे, ग्रामीण इलाकों में पेयजल की किल्लत

ग्रामीण इलाकों में पेयजल की किल्लत

Update: 2022-06-10 12:46 GMT
रुद्रप्रयाग: जून के महीने में रुद्रप्रयाग जिले में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है. यहां इन दिन में 37 से 38 डिग्री के बीच तापमान पहुंच रहा है. तापमान में वृद्धि होने के कारण जनपद के अधिकांश हिस्सों में गंभीर पेयजल संकट गहरा गया है. जनपद के 25 जल स्रोत सूख चुके हैं, जिस कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति इतनी विकराल रूप धारण कर चुकी है कि पेयजल किल्लत से परेशान ग्रामीण अब जल संस्थान विभाग के कार्यालय में धरना देने भी पहुंचने लगे हैं.बता दें, जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग वैसे तो अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के एक छोर पर बसा है लेकिन गर्मियों में यहां पेयजल की समस्या ज्यादा हो जाती है. दो बड़ी नदियों होने के बावजूद भी जिला मुख्यालय की जनता को पुनाड़ गदेरे से पेयजल की आपूर्ति की जाती है, जो अब धीरे-धीरे सूखता जा रहा है.
इन दिनों गर्मी के कारण पानी की भारी किल्लत हो गई है. रुद्रप्रयाग शहर की 20 हजार से अधिक आबादी पिछले एक सप्ताह से पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के भी यही हाल हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी गंभीर पेयजल संकट गहरा गया है.
रुद्रप्रयाग शहर के लिए हर दिन 3.5 एमएलडी पानी की जरूरत है, जबकि स्रोत के सूख जाने से 1 से 1.2 एमएलडी ही हर दिन पेयजल आपूर्ति हो पा रही है. ऐसे में पानी के लिए लोग परेशान हैं. इसके अलावा सबसे ज्यादा समस्या विकासखंड अगस्त्यमुनि और जखोली के विभिन्न गांवों में पेयजल को लेकर बनी है. पानी को लेकर ग्रामीण जनता को मीलों की दूरी नापनी पड़ रही है. पानी के लिये परेशान हो चुकी ग्रामीण जनता अब आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिये भी तैयार हो चुकी है और जल संस्थान कार्यालय में आकर विभागीय अभियंताओं से पेयजल की आपूर्ति कराने की मांग कर रही है.
गर्मी के कारण विकासखंड अगस्त्यमुनि के 15 गांवों में पेयजल स्त्रोत सूख चुके हैं, जबकि जखोली विकासखंड के 8 गांवों में स्रोत सूखने के कारण ग्रामीण जनता परेशान है. इसके अलावा ऊखीमठ विकासखंड के तीन गांवों में पेयजल स्रोत सूख चुके हैं. जल संस्थान विभाग की ओर गुप्तकाशी, मैखंडा, गोरणा, चोपता, कुंडा-दानकोट, क्वीलाखाल, सकल्याणा, सौंराखाल में टैंकरों के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है. जिन गांवों में मोटरमार्ग की सुविधा नहीं है, वहां घोड़े-खच्चरों से पानी पहुंचाया जा रहा है.
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद के भीतर 25 जल स्रोत ऐसे हैं, जहां पानी कम हो चुका है. जबकि आठ से दस गांव ऐसे हैं, जहां पानी पूरी तरह सूख चुका है. ऐसे में वहां टैंकर के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है, जिसमें गुप्तकाशी, मैखंडा गोरणा, चोपता, कुंडा-दानकोट, क्वीलाखाल, सकल्याणा और सौंराखाल गांव शामिल हैं. रुद्रप्रयाग नगर में भी पानी की मात्रा बहुत कम हो गई है और यहां आधा से एक घंटे ही पानी की आपूर्ति की जा रही है.
इन क्षेत्रों में सूख चुके हैं प्राकृतिक स्रोत: स्वीली, दरमोला, क्वीलाखाल, मयाली, ललूड़ी, जखोली, जवाड़ी, सुमाड़ी, नगरासू, मवाना, सौड़, कोठगी, रुद्रप्रयाग नगर, गोरणा, जाखणी, कुंडा, दानकोट, लोदला, खाल्यूं, अगस्त्यमुनि, रतूड़ा, तिलवाड़ा, गुप्तकाशी, धानी, मैखंडा.
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