उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में BJP-कांग्रेस के 22 बागियों ने बढ़ाई मुश्किल,यहां निर्दलीय देंगे चुनौती, पढ़ें पूरी लिस्ट
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज तमाम प्रयास के बावजूद काफी बागियों को नहीं मना सके। ये
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज तमाम प्रयास के बावजूद काफी बागियों को नहीं मना सके। ये बागी अब पार्टी प्रत्याशियों की राह मुश्किल कर सकते हैं। भाजपा के सर्वाधिक 15 तो कांग्रेस के सात बागी नाम वापसी का समय बीत जाने के बावजूद मैदान में डटे हैं। डैमेज कंट्रोल कम से कम करने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने सभी तरकश चलाए। भाजपा के सांसदों व पूर्व मुख्यमंत्रियों ने जहां बागियों को मनाने के लिए उनके घरों में दस्तक दी और मान-मनोव्वल किया, लेकिन ज्यादा बागी माने तक नहीं और निर्दलीय मैदान में कूद गए हैं।
भाजपा पांच और कांग्रेस आठ को ही मना सकी: भाजपा 20 में से सिर्फ पांच बागियों को ही मना पाई। वहीं, कांग्रेस 15 बागियों में से आठ को मनाने में कामयाब रही। उसके सात बागी मैदान में डटे हैं। भाजपा को खासकर धनोल्टी, घनसाली, कर्णप्रयाग, कोटद्वार, रुद्रपुर और भीमताल तो कांग्रेस को लालकुआं, रुद्रप्रयाग, यमुनोत्री और घनसाली विधानसभा सीटों पर बागियों की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लालकुआं में पूर्व सीएम हरीश रावत जबकि कोटद्वार में पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु भूषण खंडूड़ी और डोईवाला में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के शिष्य बृजभूषण गैरोला को बागियों का सामना करना पड़ रहा है।
बागियों को फिर समझाएंगे:कौशिक
तमाम कोशिश के बावजूद भाजपा के दिग्गज अपने ज्यादातर बागियों को नहीं मना पाए। पार्टी के 20 नेताओं ने बागी तेवर अपनाते हुए नामांकन पत्र दाखिल किए थे। सोमवार को नाम वापसी के अंतिम दिन सिर्फ पांच नेताओं ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के समर्थन में नाम वापस लिए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि जो कार्यकर्ता किसी वजह से नाम वापस नहीं ले पाए हैं, उसके बाद संगठन स्तर पर समीक्षा बैठक की जाएगी। ऐसे बागियों को पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करने के लिए समझाया जाएगा। यदि इसके बावजूद बागी नहीं माने तो पार्टी के लिए अनुशासनहीनता की कार्रवाई का सिर्फ एक विकल्प बचेगा।
कांग्रेस ने बागियों को दिया एक और मौका
कांग्रेस ने अपने बागी नेताओं को एक और मौका देने का निर्णय किया है। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि आज नामांकन वापसी के अंतिम दिन कई नेताओं ने अपने उम्मीदवारी वापस ले ली है। जानकारी में आया है कि कुछ स्थानों पर कुछ नेता नाम वापस नहीं ले पाए। ऐसे सभी नेताओं से अपेक्षा की गई है कि वो पार्टी के अधिकृ़त प्रत्याशी के समर्थन में काम करें। उनका पार्टी में सम्मान यथावत बहाल रखा जाएगा। इसके बावजूद यदि कोई अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ सक्रिय रहता है तो पार्टी उसे गंभीरता से लेगी। ऐसे लोगों के बाबत पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में निर्णय किया जाएगा।
भाजपा के बागी
डोईवाला- जितेंद्र नेगी, धर्मपुर- वीर सिंह पंवार, देहरादून कैंट-दिनेश रावत, धनोल्टी-महावीर रांगड़, घनसाली-दर्शनलाल, कोटद्वार-धीरेंद्र सिंह चौहान, कर्णप्रयाग-टीका प्रसाद मैखुरी, रुद्रपुर-राजकुमार ठुकराल, किच्छा-अजय तिवारी, रानीखेत-दीपक करगेती, लालकुआं-पवन चौहान और कुंदन मेहता, भीमताल-लाखन सिंह नेगी और मनोज साह तथा रुड़की में नितिन शर्मा।
कांग्रेस के बागी
घनसाली-भीमलाल आर्य, यमुनोत्री-संजय डोभाल, रुद्रप्रयाग-मातबर सिंह कंडारी, लालकुआं-संध्या डालाकोटी, बागेश्वर-बालकृष्ण और भैरवनाथ रामनगर से संजय नेगी।