कानपुर न्यूज़: चिड़ियाघर में भेड़िये का कुनबा बढ़ाए जाने की तैयारी है। नर भेड़िया नहीं होने की वजह से भेड़ियों के परिवार में कोई नया मेहमान नहीं आया है। पिछले तीन साल से चिड़ियाघर में तीन भेड़िये हैं, लेकिन वे तीनों ही मादा हैं। अब प्राणी उद्यान प्रशासन जयपुर चिड़ियाघर से नर भेड़िये की डिमांड करने जा रहा है, जिसके बदले एक मादा भेड़िया जोधपुर को दिया जाएगा।
कुत्तों के स्वरूप का इस जंगली जानवर को देखने के लिए चिड़ियाघर में दर्शकों का काफी रुझान रहता है। चिड़ियाघर में तेंदुओं के इन पड़ोसियों में मादा सीता, गीता और रानी हैं। दर्शक जब भी तेंदुओं को देखते हुए आगे बढ़ते हैं तो भेड़िये को देख काफी देर तक ठहर जाते हैं। दर्शकों को देख तीनों मादा भेड़िये भी जाल के नजदीक आ जाते हैं और एक तरफ से दूसरी तरफ तक टहल-टहल कर दर्शकों की ओर देखते हैं।
कभी जाल पर चढ़ने की कोशिश करते हैं तो कभी दर्शकों की ओर सूंघने एक्टिविटी कर उन्हें आनंदित करते हैं। जयपुर से ही तीन साल पहले ये कानपुर चिड़ियाघर आए थे। तीनों की उम्र भी करीब पांच से छह साल हो चुकी है। ऐसे में अब उनके प्रजनन को लेकर नर की आवश्यकता पड़ने लगी है। हेड कीपर विनोद कुमार ने बताया कि पांच से 13 साल के बीच में प्रजनन होना जरूरी होता है। इनकी उम्र को देखते हुए अब जयपुर से नर भेड़िये की डिमांड की तैयारी है।
बिछड़ जाएगी एक सहेली: कीपर विनोद कुमार बताते हैं कि तीन मादा भेड़ियों में एक का नाम गीता, सीता और तीसरी का नाम रानी है। भेड़िया समूह में और वफादारी के लिए जाने जाते हैं। तीनों मादा भेड़ियों में यह स्वभाव भी खूब दिखता है। वे बाड़े में खूब खेलती हैं। एक दूसरे के साथ ही रहती हैं। एक साथ खाती हैं। एक साथ तीनों की मस्ती को देख दर्शक भी खूब लुत्फ उठाते हैं। लेकिन, जब नर भेड़िया आएगा तो एक मादा भेड़िये को यहां से भेजना पड़ेगा। तीनों पक्की सहेलियों में एक को बिछड़ना होगा।
डाइट का रखा जाता है विशेष ध्यान: चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉ. नितेश कटियार बताते हैं कि प्रजनन एक प्रकृतिक प्रक्रिया है। यह आवश्यक भी है। तीनों मादा भेड़िया होने की वजह से जब तक नर मादा नहीं आ जाता है, उनके खानपान को लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्राकृतिक रूप से उन्हें कोई परेशानी न हो, इसलिए प्रतिदिन उनके व्यवहार का भी परीक्षण किया जाता है।