उत्तरप्रदेश | इंसानों के फेस बायोमेट्रिक की तरह अब गायों की भी डिजिटल पहचान होगी. गायों की यह बायोमेट्रिक पहचान उनकी थूथन से बनाई जा रही है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित इस प्रोजेक्ट पर आईआईटी वाराणसी के साथ आईवीआरआई के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वैज्ञानिक का कहना है कि हर गायों की थूथन पर एक विशेष आकृति (मजल्स) बनी होती है. यह बिल्कुल उसी तरह होती है, जैसे इंसानों की अंगुलियों और हथेलियों पर होती है. बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. समीर श्रीवास्तव ने बताया कि साहीवाल, थारपारकर, वृंदावनी आदि सभी गायों की थूथन पर बनी आकृति अलग-अलग होती है. डिजिटल इमेज निकालने पर माइक्रोस्कोप के जरिए इसे आसानी से देखा जा सकता है. थूथन पर बनी इसी आकृति की डिजिटल इमेज से उनकी बायोमेट्रिक पहचान तैयार की जा रही है. प्रोजेक्ट के शुरुआत में संस्थान में मौजूद गोशाला की गायों की बायोमेट्रिक पहचान बनाई जा रही है.
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष से दी गई ग्रांट
आईवीआरआई को यह प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष से ग्रांट दी गई है. इसे पूरा करने के लिए आईआईटी वाराणसी का सहयोग लिया जा रहा है. विशेषज्ञ का कहना है कि गायों की बायोमेट्रिक पहचान बनने के बाद पशुओं के मामले में इंश्योरेंस लेने या फिर चोरी होने के केस में इसे तलाशने और उसकी पहचान करने में आसानी होगी.
भेड़, बकरी और सूकर की भी बनेगी डिजिटल आईडी
वैज्ञानिक समीर ने बताया कि गाय के बाद भेड़, बकरी और सूकर की भी बायोमेट्रिक पहचान तैयार की जाएगी. इसके लिए इन दोनों पशुओं की फ्रंट और साइड से डिजिटल इमेज ली जाएगी. उसे कम्यूटर में डालकर डाटा एनालाइज किया जाएगा. इसके लिए मल्टी पैरामिट्री सिस्टम का सहयोग लिया जाएगा.
मोबाइल एप के जरिए आसानी से बनेगी डिजिटल पहचान
डॉ. समीर श्रीवास्तव का कहना है कि संस्थान की गोशाला पर पायलट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इसका एक मोबाइल एप तैयार करेंगे. इस एप पर कोई भी पशुपालक जब अपनी गायों की तस्वीर डालकर, मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराएगा तो उसकी एक डिजिटल बायोमेट्रिक पहचान बन जाएगी.