मेरठ: गढ़ रोड स्थित गांधी आश्रम कि करीब 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। इस ओपन लैंड को कब्जाने के लिए कुछ लोगों ने मिलीभगत की और जमीन की डीड तक करा ली थी। यह ऐसा मामला था, जो प्रशासनिक स्तर से लेकर शासन तक पहुंचा, लेकिन इसमें कोई कार्रवाई प्रशासन या पुलिस की तरफ से नहीं की गई। खादी आयोग की तरफ से लखनऊ में एक रिपोर्ट इस जमीन को बेचने में संलिप्त रहे लोगों के खिलाफ दर्ज कराई गई, लेकिन मेरठ स्तर पर इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई।
महत्वपूर्ण बात यह है कि 100 करोड़ों की इस संपत्ति को लेकर प्रशासन इतना लापरवाह क्यों बना हुआ है? हाल ही में कंकरखेड़ा में 11 मीटर सरकारी जमीन को लेकर बिल्डर अखिलेश गोयल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। इसमें कार्रवाई हो सकती हैं, लेकिन 100 करोड़ों की संपत्ति खादी ग्राम उद्योग की हैं, लेकिन इसमें कोई कार्रवाई स्थानीय स्तर पर नहीं की जा रही हैं। गांधी आश्रम की जमीन को लेकर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यह बड़ा सवाल है। इसमें पिछले दो वर्ष से लगातार शिकायत भी हो रही है।
हाईकोर्ट भी लोग पहुंच गए हैं, लेकिन गांधी आश्रम के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि जिन लोगों ने गांधी आश्रम की जमीन पर गिद दृष्टि डाल दी है, उन पर प्रशासन कार्रवाई करते हुए क्यों बच रहा है? यह भी बड़ा सवाल है। आखिर भू-माफिया गांधी आश्रम की जमीन को कब्जाने की साजिश करने वालों के खिलाफ होनी चाहिए, लेकिन यहां फाइलों को दबाया जा रहा है।
आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी है? डिप्टी रजिस्ट्रार ने भी गांधी आश्रम समिति को भंग कर दिया था, लेकिन जिन लोगों खिलाफ एफआई आर दर्ज है, उनको चुनाव में शामिल होने से पहले ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया जा रहा हैं? इसी वजह से जो भ्रष्टाचार का गठजोड़ यहां चल रहा है, वह रुक नहीं पा रहा है। भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी इस मामले को उठा चुके हैं तथा पत्र भी लखनऊ और दिल्ली को लिख चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इसमें कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही हैं।