594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे को केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद क्या क्या बदलाव होंगे, जानिए पूरी खबर

Update: 2022-06-11 13:40 GMT

लखनऊ: वेस्ट यूपी को पूर्वांचल से जोड़ने वाले 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे से जुड़ी बड़ी खबर है। इस महामार्ग को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। हालांकि, अडाणी समूह और दूसरे कांट्रेक्टर एक्सप्रेस-वे का निर्माण करीब एक महीने पहले शुरू कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ और प्रयागराज जैसे महत्वपूर्ण महानगरों को यह छह लेन चौड़ा एक्सप्रेस-वे जोड़ेगा। अब निर्माण के लिए केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित 'रीजनल इम्पावर्ड कमेटी' ने इसे मंजूरी दे दी है। यह यूपी का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा। एक्सप्रेसवे वेस्ट यूपी, मध्यांचल और पूर्वांचल के 12 जिलों से होकर गुजरेगा। राज्य के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। रोजगार के अवसर बढ़ाएगा।

यूपीडा की बैठक में अवनीश अवस्थी ने दी जानकारी: बुधवार को उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) के निदेशक मंडल की 75वीं बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया, यह प्रसन्नता की बात है कि गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने क्लियरेंस दे दी है। इससे गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रक्रिया को और तेजी से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य अब अंतिम दौर में है। इस एक्सप्रेस-वे का 95% से अधिक निर्माण कार्य पूरा कर दिया गया है। जुलाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। बैठक में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना में चेंज ऑफ स्कोप के तहत करवाए जा रहे कार्यों के प्रस्ताव बोर्ड के सामने रखे गए। जिन्हें मंजूरी दे दी गई है।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का 45% निर्माण हुआ पूरा: अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया गया कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का 45% से अधिक निर्माण कर लिया गया है। इस एक्सप्रेस-वे के पैकेज-2 के तहत आजमगढ़ में भूमि उपलब्ध कराने की कार्यवाही के बारे में बोर्ड को जानकारी दी गई। बैठक में अवस्थी ने बताया कि यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के बुनियादी ढांचे की कार्ययोजना और विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में 400 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तकनीकी मानव संसाधन की नियुक्ति के लिए निदेशक मंडल से अनुमोदन प्राप्त किया गया है। यूपीडा के वित्तीय लेन-देन से संबंधित सांविधिक और आंतरिक लेखा परीक्षण के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट नियुक्त किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर भी निदेशक मंडल ने मुहर लगाई है।

मेरठ के 9 गांवों में जमीन ली गई: गंगा एक्सप्रेसवे के लिए मेरठ जनपद के नौ गांवों के 1,103 किसानों से 181.3092 हेक्टेयर भूमि की खरीद की गई है। अक्टूबर 2021 तक 156.3096 हेक्टेयर भूमि की खरीद सीधे किसानों से की जा चुकी थी। बाकी बची भूमि 24.9996 हेक्टेयर का विवाद और विरोध के कारण अधिग्रहण नहीं हो पाया था। लिहाजा, यूपीडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किया है। सीधे भूमि खरीदने की प्रक्रिया में मेरठ के किसानों पर लक्ष्मी बरस पड़ी है। यूपीडा ने जमीन खरीद के लिए जिला प्रशासन को 495 करोड़ रुपए दिए थे। सरकारी खाते में 33.20 करोड़ रुपए बाकी हैं।

बदायूं में निर्माण शुरू हुआ: गंगा एक्सप्रेसवे का 12 खंडों में निर्माण किया जाएगा। इनमें से 9 खंडों के निर्माण की जिम्मेदारी अडानी समूह को दी गई है। अडानी समूह ने पिछले सप्ताह बदायूं में प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 594 किलोमीटर है। यह 12 जिलों से होकर गुजरेगा। यह मेरठ में हापुड़ रोड पर बिजौली गांव से शुरू होगा। मिली जानकारी के मुताबिक जल्दी मेरठ में दूसरी कम्पनी काम शुरू करेगी।

पीएम ने 18 नवम्बर को किया था शिलान्यास :आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर 2021 में शाहजहांपुर में एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। विधानसभा चुनाव के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू करने का निर्णय लिया गया था। शनिवार से अडानी ग्रुप के अधिकारियों की टीम मशीनों के साथ बदायूं पहुंची। भूमि पूजन के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू कर दिया गया है। अडानी ग्रुप के 20 अधिकारियों की टीम ने बदायूं में डेरा डाल लिया है। भूमि पूजन में अडानी ग्रुप के सुपरवाइजर केके तिवारी, इंजीनियर सौरभ चौहान, रवीश कुमार चौहान और शमशाद अली शामिल रहे।

9,255 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी: गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना की आकलित सिविल निर्माण लागत लगभग 22,125 करोड़ रुपये है। परियोजना के लिए जरूरी भूमि अधिग्रहण में कुल 9,255 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी। परियोजना की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए परियोजना के चार ग्रुप के लिए अलग-अलग आरएफक्यू-कम-आरएफपी जारी कर और उनके सापेक्ष कन्शेसनायर्स का चयन किया जाएगा। पूरी बिड प्रक्रिया को पूरा करने में कम से कम 60 दिन लग सकते हैं। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

गांवों-कस्बों को मिलेगा लाभ: इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत होगी। साथ ही मेरठ और प्रयागराज समेत दर्जनों जनपदों के बीच आवागमन में कम वक्त लगेगा। पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। एक्सप्रेस वे से जुड़े गांवों और कस्बों में सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ-साथ कृषि, वाणिज्य, उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे रोजगार के साधन भी विकसित होंगे और लोगों को अपने गांव-कस्बे में ही आय का जरिया मिलेगा। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिहाज से भी यह एक्सप्रेसवे मील का पत्थर साबित होगा। दरअसल प्रदेश के 12 जनपदों को जोड़ने वाले इस एक्सप्रेस वे से उद्यमियों को भारी लाभ मिलेगा।

औद्योगिक कॉरिडोर बनेगा: यह एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में भी बेहद सफल होगा। प्रयागराज में बनने वाला उत्पाद आसानी से राजधानी दिल्ली और एनसीआर के शहरों तक पहुंच सकेगा। इसके अलावा स्थानीय रोजगारतथा विकास को बल देने के लिए सरकार इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, शिक्षण संस्थान और मेडिकल संस्थानों की स्थापना के लिए विकल्प उपलब्ध कराएगी। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए प्रसंस्करण इकाई, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। राज्य सरकार एक्सप्रेसवे से जुड़े क्षेत्रों में व्यवसाय को बढ़ावा देगी। बताते चलें कि गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए 5,100 करोड़ रुपये का ऋण पहले ही मिल चुका है।

6:30 घंटे में प्रयागराज पहुंचेगे: इस एक्सप्रेस-वे के पूर्ण हो जाने से लखनऊ से मेरठ की बीच की दूरी सिमट जाएगी। दोनों शहरों के बीच 12 से 15 घण्टे के स्थान पर 5-6 घण्टे लगेंगे। जबकि प्रयागराज और मेरठ के बीच की दूरी लगभग साढ़े छः घण्टे में तय की जा सकेगी। पिछले महीने 21 अगस्त को गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के क्रियान्वयन हेतु सेक्योरिटाइजेशन के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 5,100 करोड़ रुपये की ऋण स्वीकृति पत्र के हस्तांतरण पर साइन हुए थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ ही, अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास के लिए कृतसंकल्प है। राज्य सरकार प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश को देश का ग्रोथ इंजन बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

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