खेती की जमीन पर कर्ज के मामले में पश्चिमी व मध्य यूपी बेहतर, अन्य सुधारेगी सरकार

यूपी में प्रति हेक्टेयर खेती की जमीन पर औसतन कर्ज के मामले में पश्चिमी हिस्से की स्थिति सबसे बेहतर है। मध्य यूपी भी अपेक्षाकृत ठीक स्थिति में है, लेकिन पूर्वी यूपी व बुंदेलखंड के क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर जमीन पर अपेक्षाकृत कम कर्ज ही उपलब्ध हो पा रहा है।

Update: 2022-08-22 05:02 GMT

यूपी में प्रति हेक्टेयर खेती की जमीन पर औसतन कर्ज के मामले में पश्चिमी हिस्से की स्थिति सबसे बेहतर है। मध्य यूपी भी अपेक्षाकृत ठीक स्थिति में है, लेकिन पूर्वी यूपी व बुंदेलखंड के क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर जमीन पर अपेक्षाकृत कम कर्ज ही उपलब्ध हो पा रहा है। अब सरकार का फोकस इन पिछड़े इलाकों पर है। प्रदेश के पूर्वांचल में ग्राउंड लेवल क्रेडिट प्रति हेक्टेयर जमीन पर औसतन 0.50 लाख रुपये है जबकि पश्चिमी यूपी में यह 1.07 लाख प्रति हेक्टेयर के स्तर पर है। यह करीब दुगने का फर्क है।

मध्य यूपी में यह 0.90 लाख प्रति हेक्टेयर है। पर बुंदेलखंड में यह मात्र 0.38 लाख प्रति हेक्टेयर है। अब इसे बढ़ाने की जरूरत है। ग्राउंड लेवल क्रेडिट के दायरे में फसली व टर्म लोन आते हैं। कम समय के लिए लिए जाने वाले फसली ऋण किसानों को उनकी जमीन पर पैदावार बढ़ाने में सहायक होते हैं। किसानों की आमदनी दुगनी करने की योजना में यह महत्वूपर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

अब बैंकों से कहा गया है कि वह छोटे किसानों को ज्यादा से ज्यादा फसली कर्ज उपलब्ध कराएं। किसान क्रेडिट योजना में अभी तक प्रदेश में 1.54 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं। बाकी किसानों को इसमें शामिल करने पर काम किया जा रहा है। इसके बाद कृषि क्षेत्र में कर्ज आपूर्ति में 60000 करोड़ की वृद्धि हो सकेगी। कृषि क्षेत्र में 180541 करोड़ के मुकाबले 119012 करोड़ का कर्ज बांटा गया। यह तय लक्ष्य से 66 प्रतिशत अधिक है।

नाबार्ड ने दो योजनाएं शुरू कीं

एनीमल हसबैंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड व सेंट्रल स्कीम फार फार्मेशन आफ एफपीओ शुरू करने जा रही है। इसके लिए नाबार्ड द्वारा NABSarankshan (नवसंरक्षण) एक अपनी सहायक संस्था शुरू की गई है। बैंक इसके नए पोर्टल से जल्द जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं।


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