वक्फ कमेटी मेला कमेटी के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगी

Update: 2023-02-10 09:24 GMT

मेरठ: एक हजार साल से ज्यादा पुराने उत्तर भारत के प्रसिद्ध नौचंदी मेले से क्या इस बार रूहानियत गायब रहेगी। क्या रात भर कव्वालो के कलाम से गूंजने वाली बाले मियां की दरगाह पर अंधेरा रहेगा। क्या अकीदतमंदो की उम्मीदों पर कुठाराघात होगा। यह सवाल इस समय फिजाओं में तैर रहे हैं। दरअसल, पिछले कई सालों से मेला कमेटी और वक्त हजरत बाले मियां कमेटी के बीच विवाद चला आ रहा है।

विवाद भुगतान को लेकर है। इसके अलावा मेला परिसर के अंदर वक्फ कि 40 बीघा जमीन के इस्तेमाल को लेकर भी विवाद है। वक्फ हजरत बाले मियां कमेटी के मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ का कहना है कि मेले में वक्फ की जमीन का इस्तेमाल मेला कमेटी अपने फायदे के लिए कर रही है और इसकी एवज में वक्फ कमेटी को न के बराबर ही भुगतान किया जाता है।

इस संबंध में वक्फ कमेटी ने चेतावनी दी है कि यदि मेला कमेटी उनकी जमीन के इस्तेमाल का जायज पैसा उन्हें अदा नहीं करेगी और साथ ही पिछला भुगतान नहीं करती तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। गुरुवार को यह मामला मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंच गया। वक्फ कमेटी ने एक लंबा चौड़ा पत्र मुख्यमंत्री को भेजा है।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि मेला कमेटी पूर्व में हुए समझौते का पालन नहीं कर रही है। वक्फ कमेटी ने अब शासन को 15 दिनों का समय दिया है और मांग चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों में वक्त कमेटी की मांगे ना मानी गई तो वे सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

मेला और वक्त कमेटी के बीच 1992 में हुए समझौते का सार:

मेला कमेटी वक्फ की जमीन का इस्तेमाल वक्फ कमेटी की इजाजत के बिना नहीं करेगी।

वक्त की जमीन में जहां कब्रें हैं, उस जगह का इस्तेमाल भी मेला कमेटी नहीं करेगी।

मेला कमेटी जब दुकानों का किराया बढ़ाएगी तब 10 प्रतिशत किराया वक्फ की भूमि का भी बढ़ेगा।

दुर्गा ट्रस्ट की भांति हमें भी स्वतंत्रता मिले: मुफ्ती अशरफ

बाले मियां कमेटी के मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ ने आरोप लगाया कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि जब दुर्गा ट्रस्ट को अपनी जगह के खुद इस्तेमाल की इजाजत है तो इसी तरह की इजाजत उन्हें भी मिलनी चाहिए ताकि हम भी वक्फ की जमीन का अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकें।

सैन्य क्षेत्र में बढ़ रही झुग्गी झोपड़ियां:

सैन्य क्षेत्र में बांग्लादेशियों की झोपड़ियों को लेकर सेना और पुलिस अलर्ट हो गई है। काली पलटन मंदिर मार्ग पर झुग्गी झोपड़ियों की बढ़ रही तादाद ने आर्मी इंटेलिजेंस को सक्रिय कर दिया है। झुग्गी झोपड़ियों की बढ़ रही तादाद के चलते इंटेलिजेंस झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे घुसपैठियों के बारे में जानकारी जुटाने जा रही है।

काली पलटन मार्ग पर आर्मी की यूनिट है। काली पलटन मार्ग पर आए दिन झुग्गी झोपड़ियों की तादाद बढ़ने से सैन्य क्षेत्र में खतरे की आशंका तो स्वाभाविक है। आर्मी इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की समय समय पर जांच की जा रही है। उसके बाद भी आर्मी क्षेत्र में मौजूद सभी झुग्गी झोपड़ियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

काली पलटन मंदिर मार्ग पर अवैध झोपड़ी की संख्या बढ़ने से इंटेलिजेंस विभाग एक्टिव मोड में आ गया है। मामला संज्ञान में आने पर पुलिस भी जांच में जुट गई। आर्मी इंटेलिजेंस से समय-समय पर झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले खानाबदोशो की जानकारी ले रही है। मेरठ सहित अन्य जिलों में भी बांग्लादेशियों के झुग्गियों में रहने के इनपुट मिले थे। जिसके बाद एक बड़ी कार्रवाई की गई थी।

इसी के चलते मेरठ आर्मी क्षेत्र में अवैध झोपड़ियों को लेकर आर्मी और इंटेलिजेंस विभाग की गोपनीय बैठक भी हुई।जिसमें आर्मी क्षेत्र में लगातार बढ़ रही झोपड़ियों पर चिंता व्यक्त की गई। आर्मी इंटेलिजेंस की जांच के दौरान पाया गया कि झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले हरदोई, बलरामपुर, गोंडा आदि जिलों के लोग हैं।

झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की अधिकांश संख्या मुस्लिम है। एएसपी विवेक कुमार यादव का कहना है की आर्मी क्षेत्र में झुग्गियों का होना गंभीर है। टीम गठित की जा रही है। चेक कराया जाएगा की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का अपराधिक इतिहास तो नही है। सभी को रैन बसेरों में भेजा जाएगा। वहीं आर्मी इंटेलिजेंस से संपर्क किया जा रहा है जिनके कागजात मिले हैं और जिनके नहीं मिले उनमें बांग्लादेशी तो नहीं है।

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