फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों में खेल रहे शातिर

Update: 2023-06-21 12:30 GMT

मेरठ न्यूज़: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कंपनी/फर्म बनाकर हवा में कारोबार करने वाले शातिर सरकार को चूना लगा रहे हैं. बीते एक साल में पश्चिमी यूपी में सीजीएसटी और एसजीएसटी फर्जी कंपनियों द्वारा किए जाने वाले खेल का लगातार खुलासा कर रही है. अभी तक करीब 20 हजार करोड़ से अधिक घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है. हाल ही में 2600 फर्जी कंपनियों के दस हजार करोड़ से अधिक के घोटाले का खुलासा हुआ. इसमें सात लाख लोगों का डेटा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बरामद किया था. सीजीएसटी टीम ने ई-रिक्शाओं के नाम पर 16 कंपनियों के फर्जीवाड़े का खुलासा किया.

ऐसे होता है फर्जीवाड़ा पहले कुछ लोग आपस में फर्जी कागजातों के आधार पर कंपनी अथवा फर्म बनाते हैं, फिर जीएसटी के तहत कंपनी पंजीयन ले लेती है. इसके बाद सब कारोबार हवा में करते हैं. पता भी ऐसा डालते हैं कि जो किसी को न मिले. आधार कार्ड में पता बदलने के बाद वह उन लोगों के नाम पर फर्म खोलते हैं.

फर्जी टैक्स इनवॉइस तैयार करते हैं. इसके बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करते हैं. यह कंपनियां, फर्में सिर्फ कागजों में ही रहती है. कंपनियों का कहीं कोई ऑफिस तक नहीं होता. इन फर्जी कंपनियों के कामकाज के फर्जी बिल बनाए जाते थे, बिना किसी लेन-देन के इन कंपनियों के नामों पर लंबा-चौड़ा व्यापार दिखाकर टैक्स इनवॉइस तैयार करते हैं और सरकार से फर्जीवाड़ा करके रिफंड हासिल कर लेते हैं.

कैसे करते हैं एप्लाई

● फर्जी फर्म को रजिस्टर करने के लिए और उसका जीएसटी नंबर रजिस्टर कराने के लिए reg. gst. gov. in में लॉगिन करते हैं.

● कंपनी रजिस्टर्ड करने के लिए जीएसटी विभाग द्वारा एक वैरिफिकेशन कोड भेजा जाता है.

● ये कोड फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड कराए गए मोबाइल नंबर पर पहुंचता है.

● इसको शातिरों द्वारा पोर्टल पर डालकर वैरिफाइड कर लेते हैं.

● इससे एक फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित रजिस्टर करा ली जाती है और खेल शुरू कर दिया जाता है.

जीएसटी चोरी में पश्चिम उत्तर प्रदेश की फर्में सबसे आगे

राज्य सरकार विभाग को छापेमारी के दौरान जीएसटी चोरी करने वालों में सर्वाधिक फर्में पश्चिमी यूपी की पाई गई हैं. सेंट्रल और स्टेट जीएसटी द्वारा शुरू किए गए संयुक्त अभियान में 12 हजार से अधिक संदिग्ध फर्में निशाने पर हैं.

स्टेट जीएसटी के एक अधिकारी के मुताबिक, अब तक 128 फर्जी फर्में पकड़ी जा चुकी हैं. इनमें से 75 फर्में पश्चिम यूपी के शहरों से जुड़ी पाई गई हैं. इनके द्वारा 70 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है. इनमें से 16 कंपनियों का आईटीसी ब्लाक कर दिया गया है. सेंट्रल और स्टेट जीएसटी द्वारा प्रदेश भर में फर्जी फर्मों के सहारे कारोबार करने वाली 12 हजार से अधिक कंपनियों को चिह्नित किया था. इनके खिलाफ छापेमारी का अभियान शुरू किया गया है. इनमें से 6195 राज्य कर के अधीन हैं. इन कंपनियों के खिलाफ 16 जुलाई तक छापेमारी का अभियान चलाया जाना है. देखा जा रहा है व्यापार स्थल फर्में अस्तित्व में है या नहीं, जीएसटी में पंजीकृत फोन नंबर काम कर रहा है या नहीं, व्यापारी द्वारा फेक इनवॉइस तो जारी नहीं किया जा रहा है.

यह करते हैं

● फर्जी दस्तावेज, फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, इलैक्ट्रिसिटी बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार करते हैं.

● गरीब और नशा करने वाले व्यक्तियों को 1000-1500 रुपयों का लालच देकर उनके आधार कार्ड में पहले से लिए गए फर्जी मोबाइल सिम नंबर को रजिस्टर्ड करा देते हैं.

● ऑन लाइन रेंट एग्रीमेंट और इलेक्ट्रीसिटी बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड कर लेते हैं.

● इस बिल को एडिट करके ये फर्म का एड्रेस तैयार करते हैं.

ऐसे चलता है गोरखधंधा

फर्जी फर्म जीएसटी नंबर का उपयोग बिना माल का आदान प्रदान किए, तैयार किए गए फर्जी बिलों का फर्म में उपयोग कर भारत सरकार से जीएसटी रिफंड करा लेते हैं.

नोएडा पुलिस ने किया यह खुलासा

नोएडा पुलिस के खुलासे में जो जानकारी सामने आई, इसके तहत बड़ा घोटाला करने वाले अवैध तरीके से डाटा बेचने का काम करने वालों से संपर्क कर लेते हैं. जस्ट डायल के माध्य से अवैध रूप से डैटा (पैन नंबर) खरीदने के साथ कई और कंपनियों से भी डाटा खरीदते हैं. नोएडा पुलिस अब की जांच में कुल 6.35 लाख पैन डाटा इनके लैपटॉप से रिकवर किया जा चुका है. इस तरह से अनअथराइजड तरीके से किसी का डाटा हैक करके बेचना डाटा पाइरेसी की श्रेणी में आता है.

करोड़ों का टैक्स रिफंड लेने के बाद बंद कर देते हैं फर्म

बताते हैं कि फर्म से एक्सपोर्ट दिखाते हैं. कुछ समय बाद ज्यादा माल का एक्सपोर्ट दिखाकर करोड़ों रुपये टैक्स रिफंड ले लेते हैं. मोटा टैक्स रिफंड लेने के बाद वह उस फर्म को बंद कर देते थे. बंद होने के बाद फर्म इसलिए ट्रेस नहीं हो पाती थी कि उनके आधार कार्ड में जो पता दिखाया गया है, वह फर्जी रहता था.

ऐसे मिलता है रिफंड

उदाहरण के तौर पर किसी फर्म मालिक ने एक लाख रुपये का माल एक्सपोर्ट किया है और उस पर 28 प्रतिशत ड्यूटी लगती है तो सरकार की तरफ से उसे 28 हजार रुपये टैक्स रिफंड के नाम से मिल जाते हैं. फर्जी फर्मों ने भी ऐसा ही किया, जिन्होंने माल का एक्सपोर्ट दिखाकर फर्जी बिल तैयार किए और सरकार से टैक्स रिफंड ले लिया.

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