अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नईमा खातून के सामने होंगी कई चुनौतियां

लगभग एक साल के इंतजार के बाद एएमयू को कुलपति मिलने से कई उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं

Update: 2024-05-06 05:29 GMT

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 104 साल के इतिहास में पहली बार किसी महिला को कमान मिली है. प्रो. नईमा खातून नई कुलपति बनी हैं. उन्होंने की देर रात जहां पदभार ग्रहण किया, तो वहीं की सुबह पहले दिन विवि के सभी कॉलेजों के विभागाध्यक्षों और संकाय अध्यक्षों (डीएन) से अलग-अलग बैठक की. लगभग एक साल के इंतजार के बाद एएमयू को कुलपति मिलने से कई उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं. वहीं नई नई कुलपति के सामने भी कई तरह की चुनौतियां होंगी.

एएमयू कुलपति का पद दो 23 से खाली चल रहा था. पूर्व कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने इस्तीफा दे दिया था. वे इस समय भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व एमएलसी हैं. उनके स्थान पर सह कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज को कार्यवाहक कुलपति की जिम्मेदारी दी गई थी. लगभग एक साल बाद एएमयू में नए कुलपति की नियुक्ति हुई है. प्रो. नईमा खातून ने एएमयू की पहली महिला कुलपति होने का रिकॉर्ड बनाया है. हालांकि उनके समक्ष कई चुनौतियां होंगी. इससे बेहतर ढंग से निपटने और विवि को प्रगति को ओर आगे ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी होंगी.

नई कुलपति प्रो नईम खातून का छात्र जीवन से एएमयू से जुड़ाव रहा है. उन्होंने 1977 में उड़ीसा बोर्ड से हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एएमयू से इंटरमीडिएट किया था. यहीं से ही ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएट, एमफिल व पीएचडी की डिग्री ली थी. वह अलीगढ़ एएमयू के मनोविज्ञान विभाग में 1988 लेक्चरर नियुक्त हुई. वहीं 1998 में एसोसिएट प्रोफेसर और जुलाई 06 में प्रोफेसर बनीं. प्रोफेसर नईमा जुलाई 14 में वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल बनी. उन्होंने मध्य अफ्रीका के रवांडा के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एक साल पढ़ाया. वह वर्तमान में अक्टूबर 15 से सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एंड करियर प्लानिंग एएमयू के निदेशक के रूप में भी कार्यरत हैं. वे निर्वतमान कार्यवाहक कुलपति प्रो मोहम्मद गुलरेज की पत्नी हैं.

आतंरिक सुरक्षा बड़ा मुद्दा: एएमयू में आतंरिक सुरक्षा के मामले कई बार उठ चुके हैं. इस साल मार्च में होली खेलते हुए छात्रों पर हमला हो चुका है. वहीं पिछले साल एटीएस ने चार छात्रों को गिरफ्तार किया था. इन छात्रों का आतंकी संगठन आईएसआईएस से संबंध थे. वहीं पूर्व में छात्रसंघ भवन में जिन्ना की फोटो लगे होने का मामला भी काफी तूल पकड़ा था. इस तरह की घटनाओं से एएमयू की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ा था. नई कुलपति को इस तरह के मामलों में सख्ती से निपटने की बड़ी चुनौती होगी.

नई कुलपति से अमुटा की भी उम्मीदें: एएमयू शिक्षक संघ (अमुटा) को भी नई कुलपति से काफी उम्मीदें हैं. अमुटा के सचिव डॉ ओबैद अहमद सिद्दीकी ने बताया कि पूर्व कार्यवाहक कुलपति लगातार संगठन की मांगों को अनदेखी करते रहे हैं. अमुटा स्थायी कुलपति की मांग करती रही है. अब यह मांग पूरी हो चुकी है. शिक्षकों की समस्याओं का नए कुलपति से निदान की उम्मीदें हैं.

रैंकिंग में सुधार की जरूरत: एकेडमिक रैंकिंग ऑफ वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज (शंघाई रैंकिंग) में एएमयू को पहली बार में स्थान मिला था. इसमें एएमयू राष्ट्रीय स्तर पर 8वें व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 801 पायदान पर थी. वहीं 21 में राष्ट्रीय स्तर पर नीचे खिसकते हुए 14वें स्थान पर पहुंच गई थी. इसके बाद शंघाई रैंकिंग में जगह नहीं मिली. वहीं क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में 23 में 29वां स्थान मिला था. जबकि एनआईआरएफ की 23 रैकिंग सूची में एएमयू को समग्र रूप से 19वां और विश्वविद्यालयीय स्तर पर 9वां स्थान मिला था. ओवर ऑल रैंकिंग में एएमयू को 21-22 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 1139वां व राष्ट्रीय स्तर पर वां स्थान मिला था, तो वहीं 22-23 में क्रमश 1153वां व वां पायदान रहा.

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