कानपूर न्यूज़: कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते शहर के डेढ़ लाख बच्चों का रूटीन टीकाकरण छूट गया था, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया जा सका. एएनएम, आशा वर्करों और आंगनबाड़ी वर्करों का पांच हजार का स्टाफ है फिर भी लक्ष्य अधूरा है. जन्म से लेकर पांच साल तक का समय मासूमों को 12 टीके जानलेवा रोगों से बचाव के लिए लगवाने होते हैं.
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एके कन्नौजिया के मुताबिक बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर टीके लगाए जाते हैं. टीकाकरण से बच्चों को छह गंभीर संक्रामक रोगों से बचाया जाता है. इन रोगों की वजह से प्रतिदिन हजारों बच्चों की जान चली जाती है. इन रोगों में खसरा, टिटनेस, पोलियो, टीबी, गलघोंटू, काली खांसी, हेपेटाइटिस बी जैसे रोग हैं.
इसे भी समझें उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ जसबीर सिंह के मुताबिक गर्भवती को टिटनेस के टीके लगाकर उन्हें व उनके नवजात शिशुओं को टिटनेस से बचाया जाता है. शिशु को लगने वाला कोई टीका पकता है और किसी को बुखार आता है या दर्द होता है तो ऐसी स्थिति में घबराएं नही. टीबी की बीमारी से बचाने वाला बीसीजी टीका पक भी सकता है. टीका पकना या बुखार आना यह बताता है कि टीके ने अपना काम कर दिया है.
डॉक्टरों ने दी सलाह:
● बच्चों मे बीसीजी का टीका, डीपीटी के टीके की तीन खुराक, पोलियो की तीन खुराक व खसरे का टीका उनकी पहली वर्षगांठ से पहले जरूर लगवा लेना चाहिए.
● यदि भूलवश कोई टीका छूट गया है तो याद आते ही लगवा लें. सभी सीएचसी- अर्बन और रूरल पीएचसी में से रविवार तक फ्री में टीके लगते हैं.
● टीके तभी पूरी तरह से असरदार होते हैं जब सभी टीकों का पूरा कोर्स सही उम्र पर दिया जाए.
● मामूली खांसी, सर्दी, दस्त और बुखार की अवस्था में भी यह सभी टीके लगवाना सुरक्षित है.