उत्तर-प्रदेश: बाढ़ प्रभावितों को आशियाने के लिए जमीन का इंतजार
पढ़े पूरी खबर
धनघटा(संतकबीरनगर)। बरसात के समय उजड़ना, उसके बाद फिर बसना, ऐसी कष्टकारी स्थित का सामना गायघाट दक्षिणी गांव के लोग सदियों से कर रहे थे, लेकिन पिछले दो वर्षों से उजड़ने के बाद घाघरा नदी उन्हें फिर बसने की जगह नहीं छोड़ रही है। ऐसे 43 परिवार बेघर होकर खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों का दर्द है कि खेती कट गई, मकान बह गया और अब रहने और खाने का ठिकाना नहीं है।
एमबीडी बांध और घाघरा नदी के मध्य धनघटा तहसील क्षेत्र के 22 गांव के लोग रहते हैं। गायघाट दक्षिणी सर्वाधिक आबादी वाला गांव है। घाघरा नदी का जलस्तर जब बढ़ता है तो इन गांवों के लोग घर छोड़कर एमबीडी बांध पर चले जाते हैं। बाढ़ का पानी निकलने के बाद लौट जाते हैं। बाढ़ के कारण छप्पर के घर जमीन पकड़ लेते हैं। ऐसे में यह लोग पुन: आशियाना तैयार करते हैं, लेकिन वर्ष 2021 में कटान करते हुए घाघरा नदी गांव के करीब पहुंच गई और एक के बाद एक कर 34 लोगों के मकान अपने में समाहित कर लिया।
मकान के साथ जमीन भी नदी की धारा में समा जाने के कारण इनके पास रहने के लिए दूसरी भूमि नहीं मिली तो कुछ लोग एमबीडी बांध तो कुछ किराए के मकान में रहकर सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष भी नदी ने कटान तेज की तो नौ लोगों का मकान नदी में समा गया। दो दिन से कटान बंद होने पर लोग राहत महसूस कर रहे हैं।
बाढ़ पीड़ित ईशदेव ने कहा कि 21वीं सदी में दुनिया जब चांद पर बसने की तैयारी में है तो गायघाट दक्षिणी के लोग धरती पर एक इंच जमीन के लिए मोहताज हो गए हैं। घाघरा नदी ने पहले खेती काटकर मुंह का निवाला छीना। उसके बाद आशियाना काटकर रहने का ठिकाना ले लिया। धर्मेंद्र ने कहा कि खेती कट गई, मकान बह गया, अब खाने और रहने का ठिकाना नहीं रह गया है। परिवार के साथ इनके-उनके घर रह कर जिंदगी बिताया जा रहा है। जमीन देने का वादा प्रशासन के लोग कई बार कर चुके हैं, लेकिन नहीं मिली।
जिन लोगों का मकान कट चुका है, उन्हें जल्द ही बसने के लिए जमीन आवंटित कर दी जाएगी। जगह की तलाश कर ली गई है। कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद बाढ़ पीड़ितों को नई जगह पर स्थायी रूप से बसा दिया जाएगा।