जनता से रिश्ता : वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण होने के बाद से देश-विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं का यहां रेला लगा हुआ है। रोजाना काशी आने वालों की संख्या में कई गुना की बढ़ोतरी हो गई है। लोग यहां आने के बाद विश्व प्रसिद्ध गंगा घाट भी जरूर जाते हैं और डुबकी का पुण्य भी लेते हैं। इस दौरान लगातार लोगों के डूबने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों ने इसके पीछे के कारणों पर रिसर्च किया है। बताया है कि क्यों आखिर काशी के गंगा घाट खतरनाक हो रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार गंगा के अपस्ट्रीम से लेकर डाउनस्ट्रीम तक कई स्थानों पर गंगा के स्वाभाविक प्रवाह के साथ छेड़छाड़ हुई है। यह स्थिति घाटों के लिए लगातार खतरा पैदा कर रही है। यदि समय रहते इसे नहीं सुधारा गया तो भविष्य में घाटों को दरकने से कोई नहीं रोक सकता है। यह चेतावनी आईआईटी बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रो. सिद्धनाथ उपाध्याय ने दी है।प्रो. उपाध्याय ने कहा कि प्रयागराज से काशी तक गंगा सर्पाकार में बहती हैं। कई इलाकों में नदी की धारा में भारी मोड़ है। बनारस में गंगा प्रवेश करने के बाद विश्वसुंदरी पुल से टकराती हैं। इसका बहाव रामनगर किले से टकराता है। चूंकि किला के नीचे कंकड़ और मजबूत पत्थर हैं, इसलिए किले पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। किला से टकराकर बहाव आगे बढ़ने पर सामनेघाट पुल से टकराता है। यह टकराव कई प्रकार से घाटों को प्रभावित कर रहा है।
सोर्स-hindustan