हस्तिनापुर सीट का अनोखा इतिहास, यहां जिस दल को मिली जीत, यूपी में उसी की बनी सरकार

पांडवों की राजधानी रही हस्तिनापुर के साथ यह किवंदती जुड़ी हुई है कि इस सीट से जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, प्रदेश में सरकार उसी पार्टी की बनती है।

Update: 2022-01-14 04:43 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पांडवों की राजधानी रही हस्तिनापुर के साथ यह किवंदती जुड़ी हुई है कि इस सीट से जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, प्रदेश में सरकार उसी पार्टी की बनती है। इस बात को राजनैतिक दिग्गज भी मानते हैं और यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने अपना पूरा ध्यान इसी सीट पर लगा रखा है। सोच-समझकर यहां से प्रत्याशी उतारे जा रहे हैं।

हस्तिनापुर सीट पर भाजपा दो बार परचम लहरा चुकी है। यह सीट चुनावी दौर में हमेशा नए रंगरूप में दिखाई देती है। वर्ष 1991 के उप चुनाव में भाजपा के गोपाल काली यहां से चुने गए तो मौजूदा वक्त में यहां से भाजपा के दिनेश खटीक विधायक हैं। वह प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री हैं। वर्ष 2017 में भाजपा के दिनेश खटीक ने 99,436 वोट पाए, जबकि पीस पार्टी से लड़े पूर्व विधायक योगेश वर्मा को 63374 वोट मिले और सपा से पूर्व मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि 48979 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे
अब तक बने विधायक
वर्ष 2017 में भाजपा के दिनेश खटीक, 2012 में सपा के प्रभुदयाल वाल्मीकि, 2007 में बसपा से योगेश वर्मा, 2002 में सपा से प्रभुदयाल वाल्मीकि, 1996 में अतुल कुमार खटीक निर्दलीय, 1991 के उपचुनाव में भाजपा से गोपाल काली, 1989 में जनता दल से झग्गड़ सिंह, 1985 में कांग्रेस से हरशरण जाटव, 1980 में कांग्रेस से हरशरण जाटव, 1977 में कांग्रेस से रेवती शरण मौर्य, 1974 में कांग्रेस से रेवती शरण मौर्य, 1969 में भारतीय क्रांति दल से आशाराम इंदू, 1967 में कांग्रेस से रामजीलाल सहायक, 1962 में कांग्रेस से पीतम सिंह फंफूड़ा (सामान्य) और वर्ष 1957 में कांग्रेस से बिशम्बर सिंह (सामान्य) और 1951-1952 में कांग्रेस से रामजीलाल सहायक (आरक्षित) विधायक चुने गए।
क्या कहते हैं समीकरण
फिलहाल हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख 42 हज़ार 314 है। इनमें पुरुष मतदाता 187884 और महिला मतदाता 154407 है, जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या 23 है। अनुमान के मुताबिक यहां सबसे ज्यादा गुर्जर व मुस्लिम वोट हैं।
दो चुनाव में सामान्य रही सीट
नरेंद्र कुमार एडवोकेट बताते हैं कि हस्तिनापुर सीट दो बार सामान्य रही है। उनके अनुसार वर्ष 1962 में कांग्रेस से पीतम सिंह फंफूड़ा (सामान्य सीट) और वर्ष 1957 में कांग्रेस से बिशम्बर सिंह (सामान्य सीट) चुनाव जीते।
विधानसभा क्षेत्र में तीन ब्लॉक
हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र में तीन ब्लॉक मवाना, हस्तिनापुर और किला परीक्षितगढ़ हैं। इनके अलावा मवाना नगर पालिका, हस्तिनापुर, किला परीक्षतगढ़ व बहसूमा तीन नगर पंचायतें हैं।
''एक हजार करोड़ से ज्यादा के कार्य कराए''
हस्तिनापुर से विधायक और राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने कहा,''हस्तिनापुर क्षेत्र में एक हजार करोड़ से अधिक के विकास कार्य कराए हैं। 50 साल से चली आ रही खादर क्षेत्र के लोगों की मांग पर उनकी भूमि को बाढ़ से मुक्त कराने को तटबंध बनवाए। इससे हजारों कृषि भूमि पर अब बाढ़ नहीं आएगी। इसके अलावा मवाना, हस्तिनापुर व किला परीक्षितगढ़ सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट लगवाए हैं।''
'सर्वसमाज के लिए मैंने काम किया'
पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने कहा, ''मैंने हमेशा सर्वसमाज के लिए काम किया। आगे भी करते रहेंगे। 2007 से 2012 तक विधायक रहा तो हस्तिनापुर क्षेत्र में सभी वर्गो के लिए काम किया। लोगों का प्यार भी मिला। 2012 और 2017 में भी हस्तिनापुर की जनता ने काफी साथ दिया। मैंने भी काफी विकास कार्य कराया है।''
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