Ujjain उज्जैन : विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के दौरान अब तक आपको कुछ ऐसे साधु नजर आ ही जाते थे जो की भस्मी, ताबीज और अन्य सामान का विक्रय यहां पर करते थे, बल्कि आशीर्वाद देने और अन्य तरीकों से भी बाबा महाकाल के भक्तों से कुछ भेट व दक्षिणा ले लेते थे। लेकिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब ऐसे साधुओं के लिए एक नई व्यवस्था की शुरुआत कर दी है, जिसके लिए अब साधु मंदिर में ससम्मान प्रवेश तो कर पाएंगे। लेकिन उन्हें मंदिर में रुककर किसी भी प्रकार की सामग्री बांटने पर रोक रहेगी।
महाकालेश्वर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल का कहना था कि बाबा महाकाल के दरबार में सभी साधु संतों का बाबा महाकाल के दर्शन करने पर पूरा अधिकार है। हम भी ऐसा प्रयास करते हैं कि साधु संतों को बाबा महाकाल के दर्शन करने में कोई परेशानी ना आए, लेकिन पिछले काफी समय से यह देखने में आ रहा है कि कुछ साधु मंदिर मे बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए प्रवेश तो करते हैं लेकिन यहां पर दर्शन के बाद बाबा महाकाल के भक्तों को भस्मी, ताबीज और अन्य सामग्री देकर दान दक्षिणा लेने लगते हैं। महाकाल मंदिर में इस प्रकार दान दक्षिणा लिए जाने को लेकर हमने कई बार इन साधुओं को समझाइश देने की कोशिश की लेकिन यह साधु कुछ समझने को तैयार ही नहीं हैं। इसीलिए मंदिर में नई दर्शन व्यवस्था के तहत साधु संतों को मंदिर में रुककर किसी भी सामान का विक्रय करने पर रोक लगाई गई है। वे मंदिर में आएं, ससम्मान बाबा महाकाल के दर्शन करें, इस पर हमें ना तो कोई आपत्ति थी और ना ही कोई आपत्ति है।
सुरक्षा गार्ड की हुई थी चिमटे से पिटाई
याद रहे कि एक सप्ताह पहले ही एक सुरक्षा गार्ड ने मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को भस्मी बांट रहे एक साधु को परिसर से हटाने का प्रयास किया था। इस पर साधु इतने अधिक नाराज हुए थे कि उन्होंने चिमटे से सुरक्षा गार्ड की पिटाई कर डाली थी। बताया जाता है कि गार्ड तो महाकाल मंदिर के नियमों का ही पालन करवा रहा था, लेकिन साधु ने बिना किसी गलती के उस पर हमलाकर दिया था जिसकी शिकायत महाकाल थाने तक भी पहुंची थी।
भस्म आरती के बाद भी आती है परेशानी
मंदिर सुरक्षा व्यवस्था प्रभारी दिलीप बामनिया ने बताया कि भस्म आरती के बाद साधुओं को परिसर से बाहर निकालने में काफी परेशानी आती है। आपने बताया कि सुबह-सुबह कई श्रद्धालु मंदिर में श्रद्धालुओं को भस्मी देते हुए दिखाई देते हैं। इन साधुओं को जब परिसर से जाने के लिए कहा जाता है तो यह नाराज हो जाते हैं। हम तो मंदिर के नियमों का पालन ही करवाते हैं, लेकिन हमें अक्सर इनका विरोध और नाराजगी झेलना पड़ती है।